Monday, October 28, 2013

दोस्ती

मित्र Ratanjeet Singh ने दोस्ती पर अभी एक स्टेट्स लिखा तो अपने भी जख्म हरे हो गए दोस्ती के नाम पर मरने मिटने बनने और बिगडने के अपने बहुत से किस्से है। एक वक्त था जब दोस्तों के पैरो पर पैर रखकर चलने की आदत थी अकेले मूतने तक नही जाते थे फिर ठंडी नंगी बर्फ सी सच्चाई का भी सामना हुआ दोस्त भी गर्दिश के तारे हो गए वो खुद हैरान और परेशान थे ऐसे मे मेरी मदद क्या करते। जीवन मे एक वक्त ऐसा भी आया जब जिगरी समझे जाने वाले दोस्तों से बोलचाल बंद हो गई कई बार पास से अजनबी की तरह गुजर गए। कुछ दोस्तों को वक्त ने समझदार बना दिया और कुछ दोस्त अपने गणित मे उलझे रहे कुछ दोस्त ऐसे भी थे जिनसे अपने मन की बातें किए एक अरसा हो गया मै अपनी भूमिका बनाता रहा और वें अपनी उपलब्धियों के किस्से सुनाते रहे दोस्तों की उपलब्धियों से खुशी मिलती है लेकिन खुशी कभी एकालापी अच्छी नही लगती है। कई बार ऐसा भी हुआ कि करीबी दोस्त बहुत आगे निकल गए मै काफी पीछे छूट गया लेकिन मेरे एक मित्र यह कहकर सात्वनां देते रहे कि दूनिया गोल है लोग लौट कर फिर आएंगे और सच बात तो ये है कि उनमे से कुछ आएं भी ऐसे में खुद को बडप्पन की चासनी में डूबोया और उनको नादानी के खेल का खिलाडी समझ दिल को समझाया बहलाया और फिर से गले मिल साथ हो लिए...। दोस्ती का रिश्ता दूनिया का सबसे विचित्र रिश्ता है इसको समझा नही जाता बस इसको जिया जाता है जो लोग नफे-नुकसान,कमतर-बेहतर मे उलझ गए वो दोस्त कब परिचित मे तब्दील हो गए मुझे भी न पता चला।
सच्चा दोस्त वही है जिसके सामने अपने दिल के हालात कहने में लेशमात्र भी संकोच न हो जो आपकी बात को आत्मीयता से सुनने की दिलचस्पी रखता हो जो मुश्किल वक्त में आपको संभाल सके वो भी बिना किसी शर्त के साथ यह सच है कि दिन ब दिन औपचारिक और मतलबपरस्त होती दूनिया मे ऐसे दोस्त बेहद कम बचे है लेकिन जिनके पास ऐसे दोस्त है या वो खुद ऐसे किसी के दोस्त है तो इससे बडी उपलब्धि और कोई नही हो सकती। ऐसे यारों के यार सबको नसीब हो यही दुआ करता हूँ।

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