Monday, October 28, 2013

आना-जाना

फेसबुकिया दूनिया में मेरा आना जाना लगा रहता है यह ठीक उस नामुकम्मल कोशिस की तरह है जो अपने होने की जद्दोजहद मे रोज़ नए मिराज़ पैदा करती है और रोज़ उन्हे अपनी हकीकत की किस्सागोई के साथ दफन भी कर आती है। इतने परेशान मत हो मेरे दोस्तों ! आपकी मुहब्बतों का तलबगार हूँ अभी तो खाकसार कहने के भी काबिल नही बना हूँ उधार के अल्फाज़ और अपने कुछ तल्ख कुछ मासूम अहसासों कों कभी शायरी के बहानें तो कभी यूँ ही बेवजह की किस्सागोई के बहानें ब्याँ करने की कोशिस करता रहता हूँ। अपने कुछ खास किस्म के कद्रदानों,मेहरबानों की उम्मीदों पर खरा उतरनें का दबाव बना रहता है जो मै महसूस करता हूँ इसलिए अलबत्ता तो मेरी कोशिस यही रहती है कि पाक अहसासों और उम्मीद की रोशनी से मेरी तरफ देखने वालें दोस्त मेरी हाथ की सफाई और नजरबंदी के खेल की हकीकत हो पहले ठीक से समझ लें,जान लें बावजूद इसके भी कुछ लोगो की इज्जतअफजाई और मुहब्बतों की तकरीरे मेरे नाजिरखाने में किसी बैनामे के दाखिलखारिज़ की माफिक दर्ज़ हो जाती है क्योंकि उन्हे लगता है कि मै काम का आदमी हूँ फिर भी मुझे यही लगता है कि किसी का दिल न टूट जाएं इसलिए सभी को बार बार यही कहता हूँ " मेरे बारें में कोई राय कायम मत करना,वक्त बदलेगा और तुम्हारी राय बदल जायेगी.."
जिन्दगी को देखने-समझने के लिए सबके पास अपना-अपना तजरबे का चश्मा होता है मेरे पास भी है और अपने उस चश्में से जिन्दगी को देखने की कोशिस नें मुझे कभी आदत से जज्बाती बनाया तो कभी अदब से कमजोर इसलिए थोडा सलाहियतों पर ईमान लानें के मामलें कमअक्ला किस्म का इंसान हूँ अभी तलक तो जिन्दगी को अपनी शर्तो पर जीने की कोशिस की है कल का भरोसा नही इसलिए जब तक यहाँ इस मंच पर हूँ जैसा हूँ स्वस्थ हूँ,बीमार हूँ,छद्म हूँ,पारदर्शी हूँ,मौलिक हूँ या आयतित हूँ,बौद्धिक हूँ,दोगला हूँ ,हैरान हूँ,परेशान हूँ मुझे इसी रुप मे स्वीकार कीजिए बडी विनम्रता के साथ यही कहना चाहूंगा कि मै अपना वजूद खुद गढ रहा हूँ इसलिए किसी के भी सम्पादन की गुंजाईश नही है अच्छा,बुरा जैसा भी है सब मेरा ही है आपके पास चयन का विकल्प है इसलिए एक अस्तित्व को समग्रता के साथ स्वीकार करनें वाले साथी अपने साथ दूर तलक जायेंगे वरना न जानें कितने लोग रोज़ फेसबुक पर एड होते है और लिस्ट में क्या तो बेजान पडे रहते हैं या किसी दिन डिलिट की क्लिक के शिकार होतें है।
इस उम्मीद के साथ यह लिख रहा हूँ कि उपरोक्त कथन को मेरा अहंकार न समझा जाएं शेष आपकी इच्छा।
(मेरे फेसबुक पर आने और अचानक वितंडा फैला कर भागने के उपक्रम से आजिज़ आ चुके फेसबुकिया मित्रों के लिए मेरा फेसबुकिया हलफनामा ताकि जिरह से बचा जा सकें)

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