इस तरह की आत्मविज्ञापनी पोस्ट बिलकुल नही लिखना चाहता न ही कभी एक्स्ट्रा इमेज कन्शिएस रहा हूँ मगर फिर कई दफा अपने बारें में कुछ बातें बतानी जरूरी हो जाती है कतिपय संदर्भो में इसे मेरा अहंकार समझा जा सकता है मगर यह मेरे जीवन जीने की शैली है मेरी मौलिकता है जिसमें मै ढलकर यहाँ तक पहूंचा हूँ।
ताकि सनद रहें...
1. मेरी बातें जरुर डिप्रेसिव साउंड करती है मगर मै मर्ज़ की सीमा तक डिप्रेशन में नही हूँ एक नियत अवसाद की मात्रा हर लिखने पढ़ने सोचने वाले के अंदर पायी जाती है इसी के जरिए वह समष्टि की वेदना को खुद के अंदर अनुभूत कर पाता है सो इतना अवसाद मेरे लिए एक जरुर टूल है।
2.अध्ययन और अध्यापन जोड़कर लगभग एक दशक मनोविज्ञान से एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय से जुड़ा रहा हूँ क्लीनिकल साइकोलॉजी में विशेषज्ञता रही है बतौर मनोविश्लेषक विभिन्न मीडिया माध्यमों में एक्सपर्ट नामित रहा हूँ ठीक ठाक किस्म का अकादमिक सीवी रहा है जिसमें जर्मनी से थीसिस छपना और तीन छात्रों का एमफिल गाइड बनना शामिल है। व्यक्तित्व के मनोवैज्ञानिक परीक्षण ड्रा ए पर्सन पर कई साल जुनून की हद तक काम करके उसको सिद्ध किया गया था हालांकि अब ये सब कोई ख़ास मूल्य नही रखता है।
यह महज़ एक दुनियावी पक्ष है इसको मै हर वक्त अपने कंधो पर नही ढो सकता हूँ इसलिए कई बार विदूषक की तरह अपने मन की मौज में जीता हूँ खुद का मनोविज्ञान ठीक से जानता हूँ न ही खुद के बारें में किसी गलतफहमी में जीता हूँ।
3. जैसा हूँ जैसा जीता हूँ वैसा ही खुद को प्रस्तुत भी करता हूँ न मुझे सेल्फ ब्रांडिंग आती है और न मेरी सेल्फ ग्रूमिंग की कोई अभिलाषा भर है। दिल और चेतना के स्तर पर समन्वय बनाकर जीने का प्रयास करता हूँ। न मेरे अंदर उद्यमशीलता है और मै बहुत नियोजित हो कर कभी जीवन जी पाया हूँ यदि इतनी नियोजनशीलता मेरे अंदर होती तो सात साल की यूनिवर्सिटी की मास्टरी छोड़कर खेती किसानी का विकल्प न चुनता सारांश यही है जो दिल कहता है वही करता हूँ।
3. अपेक्षाओं पर तो खुद के माता-पिता की खरी नही उतर पाया और किसी की क्या उतरूंगा इसलिए तटस्थ रहता हूँ इल्म की कमजोरी है आदत से जज्बाती हूँ इसलिए किसी को नजदीक लानें से डरता हूँ क्योंकि जिस तरह की मेरी यात्रा है वहां समान गति से मेरे साथ चलना किसी के लिए भी दुर्लभ है। अब दिल जुड़ने-टूटने से बचता हूँ।
4. कुछ मित्रों को मेरे स्त्री प्रेमी होने का संदेह है उनको यही कहूँगा कि हाँ मै स्त्री को एक उदात्त चेतना मानता हूँ उनकी संवेदना का स्तर मुझे मेरे कम्फर्ट जोन में यात्रा करने में मदद करता है न मै कोई आखेटक हूँ और न मेरे लिखे हो पसंद करने वाली महिलाएं मूर्ख और न मै रिश्तों में बेईमान हूँ और न ही लम्पट। सखा भाव से अनौपचारिक शैली में बात करना मेरा सलीका भर है इसके पीछे मेरा कोई हिडन एजेंडा नही है।
5.लम्बे समय से एक ख़ास किस्म की जीवनशैली जीने में मै टाइप्ड हूँ उसमे न बदलाव की गुंजाइश है और न मेरी कोई अभिलाषा। अपने 'ऐसा होने में' मै बेहद खुश और संतुष्ट हूँ।
7. जो लोग मुझे जानने और समझने का दावा करते है वो जानते है कि मेरी यात्रा किस किस्म की रही है देहात से निकल अपना मार्ग चुनने और पृष्टभूमि के दबाव के बीच मैंने यह मार्ग चुना है और कई स्तरों पर संघर्ष किया है मेरा जितना ज्ञात पक्ष है उतना ही अज्ञात भी है हालांकि निजी तौर पर संघर्ष को न कभी प्रचार का विषय बनाया और न ही तुलना की विषयवस्तु समझा सब अपने अपने हिस्से का दुःख भोगते ही है मै कोई अनूठा नही हूँ।
8. धारणा बनाने वाले धारणाओं में जीने वाले मित्रों की यात्रा बेहद अल्पकालीन होती है बिना सम्पादन और समग्रता से जीवन को स्वीकार करनें वाले मित्रों का सदैव स्वागत है। महान/आदर्श न कभी रहा हूँ न होने की सम्भावना है सभी की तरह मेरे पास भावनात्मक मूर्खताएं है अपराधबोध है दिल का जुड़ना-टूटना सब शामिल है इसे मै मानव होने की निशानी के तौर पर देखता हूँ।
9. दोस्ती को लेकर मेरे थोड़े खट्टे मिट्ठे किस्म के अनुभव रहें है मेरे लिखे हुए में दोस्तों का गाहे बगाहे जिक्र आता है जिससे गैर आभासी दुनिया के दोस्तों को तकलीफ होती है उन्हें लगता है मै खुद को पीड़ित उनको शोषक सिद्ध करता हूँ ऐसा कतई नही है मेरी कुछ रचनाएं विशुद्ध लिट्रेरी कंटेंट लिए होती है उनमे अपने निजी सन्दर्भ तलाशकर आप अपनी ऊर्जा और मन की शान्ति को जाया न करें।
10. अंत में मेरी वजह से हैरान परेशान दोस्तों के लिए एक बात कहूँगा माफी चाहूंगा दोस्तों ! क्या करूं ऐसा ही हूँ मै...!!!
आपका
डॉ.अजीत
ताकि सनद रहें...
1. मेरी बातें जरुर डिप्रेसिव साउंड करती है मगर मै मर्ज़ की सीमा तक डिप्रेशन में नही हूँ एक नियत अवसाद की मात्रा हर लिखने पढ़ने सोचने वाले के अंदर पायी जाती है इसी के जरिए वह समष्टि की वेदना को खुद के अंदर अनुभूत कर पाता है सो इतना अवसाद मेरे लिए एक जरुर टूल है।
2.अध्ययन और अध्यापन जोड़कर लगभग एक दशक मनोविज्ञान से एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय से जुड़ा रहा हूँ क्लीनिकल साइकोलॉजी में विशेषज्ञता रही है बतौर मनोविश्लेषक विभिन्न मीडिया माध्यमों में एक्सपर्ट नामित रहा हूँ ठीक ठाक किस्म का अकादमिक सीवी रहा है जिसमें जर्मनी से थीसिस छपना और तीन छात्रों का एमफिल गाइड बनना शामिल है। व्यक्तित्व के मनोवैज्ञानिक परीक्षण ड्रा ए पर्सन पर कई साल जुनून की हद तक काम करके उसको सिद्ध किया गया था हालांकि अब ये सब कोई ख़ास मूल्य नही रखता है।
यह महज़ एक दुनियावी पक्ष है इसको मै हर वक्त अपने कंधो पर नही ढो सकता हूँ इसलिए कई बार विदूषक की तरह अपने मन की मौज में जीता हूँ खुद का मनोविज्ञान ठीक से जानता हूँ न ही खुद के बारें में किसी गलतफहमी में जीता हूँ।
3. जैसा हूँ जैसा जीता हूँ वैसा ही खुद को प्रस्तुत भी करता हूँ न मुझे सेल्फ ब्रांडिंग आती है और न मेरी सेल्फ ग्रूमिंग की कोई अभिलाषा भर है। दिल और चेतना के स्तर पर समन्वय बनाकर जीने का प्रयास करता हूँ। न मेरे अंदर उद्यमशीलता है और मै बहुत नियोजित हो कर कभी जीवन जी पाया हूँ यदि इतनी नियोजनशीलता मेरे अंदर होती तो सात साल की यूनिवर्सिटी की मास्टरी छोड़कर खेती किसानी का विकल्प न चुनता सारांश यही है जो दिल कहता है वही करता हूँ।
3. अपेक्षाओं पर तो खुद के माता-पिता की खरी नही उतर पाया और किसी की क्या उतरूंगा इसलिए तटस्थ रहता हूँ इल्म की कमजोरी है आदत से जज्बाती हूँ इसलिए किसी को नजदीक लानें से डरता हूँ क्योंकि जिस तरह की मेरी यात्रा है वहां समान गति से मेरे साथ चलना किसी के लिए भी दुर्लभ है। अब दिल जुड़ने-टूटने से बचता हूँ।
4. कुछ मित्रों को मेरे स्त्री प्रेमी होने का संदेह है उनको यही कहूँगा कि हाँ मै स्त्री को एक उदात्त चेतना मानता हूँ उनकी संवेदना का स्तर मुझे मेरे कम्फर्ट जोन में यात्रा करने में मदद करता है न मै कोई आखेटक हूँ और न मेरे लिखे हो पसंद करने वाली महिलाएं मूर्ख और न मै रिश्तों में बेईमान हूँ और न ही लम्पट। सखा भाव से अनौपचारिक शैली में बात करना मेरा सलीका भर है इसके पीछे मेरा कोई हिडन एजेंडा नही है।
5.लम्बे समय से एक ख़ास किस्म की जीवनशैली जीने में मै टाइप्ड हूँ उसमे न बदलाव की गुंजाइश है और न मेरी कोई अभिलाषा। अपने 'ऐसा होने में' मै बेहद खुश और संतुष्ट हूँ।
7. जो लोग मुझे जानने और समझने का दावा करते है वो जानते है कि मेरी यात्रा किस किस्म की रही है देहात से निकल अपना मार्ग चुनने और पृष्टभूमि के दबाव के बीच मैंने यह मार्ग चुना है और कई स्तरों पर संघर्ष किया है मेरा जितना ज्ञात पक्ष है उतना ही अज्ञात भी है हालांकि निजी तौर पर संघर्ष को न कभी प्रचार का विषय बनाया और न ही तुलना की विषयवस्तु समझा सब अपने अपने हिस्से का दुःख भोगते ही है मै कोई अनूठा नही हूँ।
8. धारणा बनाने वाले धारणाओं में जीने वाले मित्रों की यात्रा बेहद अल्पकालीन होती है बिना सम्पादन और समग्रता से जीवन को स्वीकार करनें वाले मित्रों का सदैव स्वागत है। महान/आदर्श न कभी रहा हूँ न होने की सम्भावना है सभी की तरह मेरे पास भावनात्मक मूर्खताएं है अपराधबोध है दिल का जुड़ना-टूटना सब शामिल है इसे मै मानव होने की निशानी के तौर पर देखता हूँ।
9. दोस्ती को लेकर मेरे थोड़े खट्टे मिट्ठे किस्म के अनुभव रहें है मेरे लिखे हुए में दोस्तों का गाहे बगाहे जिक्र आता है जिससे गैर आभासी दुनिया के दोस्तों को तकलीफ होती है उन्हें लगता है मै खुद को पीड़ित उनको शोषक सिद्ध करता हूँ ऐसा कतई नही है मेरी कुछ रचनाएं विशुद्ध लिट्रेरी कंटेंट लिए होती है उनमे अपने निजी सन्दर्भ तलाशकर आप अपनी ऊर्जा और मन की शान्ति को जाया न करें।
10. अंत में मेरी वजह से हैरान परेशान दोस्तों के लिए एक बात कहूँगा माफी चाहूंगा दोस्तों ! क्या करूं ऐसा ही हूँ मै...!!!
आपका
डॉ.अजीत