Tuesday, September 2, 2014

दुपट्टा

तुम और तुम्हारा दुपट्टा....


एक मुद्दत से तुमने अपना दुपट्टा नही बदला इसकी सोंधी सी महक में पहाड की उन दुर्लभ वनस्पतियों की गंध शामिल है जिन्हें फूल समझा जाता रहा है। तुम्हारी गर्दन के आसपास लिपटे हुए कॉटन के इस दुपट्टे का अनुराग देख मुझे उन अनजान बेलों की याद आती है जो मैने निर्जन रास्तों पर सूखे दरख्तों से लिपटी हुई देखी थी। यह महज सवा दो मीटर कपडा नही है बल्कि इसमें समाई हुई है कि एक छोटी सी दूनिया तुम्हारा कॉटन का दुपट्टा सच्चा गवाह है कुछ आवारा ख्यालों का, तुम्हारी तन्हा रातों का इसके उलझे हुए धागों में ईमान की खूशबू है और न जाने कितनी बार इसने तुम्हारे आंसूओं को पनाह दी है।

तुम सोच रही होगी ये कैसा मतलबी शख्स है जब भी देखो अपने हिस्से के सुख की बातें करता है अब मेरे दुपट्टे मे भी अपनी खोयी हुए खुशियां तलाश रहा है जबकि यह दुपट्टा बेहद मामूली है इसमे एक ही रंग की गुजाईश है तुमने कई दफा रंगरेज़ से कहा कि इसका रंग बदल दें मगर इस मुए पर चढता ही नही है कोई दूसरा रंग मुझे इसी लिए यह तुम्हारा दुपट्टा पसंद है।

तुम्हारी बेफिक्री के लम्हों में इसको जब उडता देखता हूँ तो इसकी उडान में एक हवा का झोंका मेरा भी होता है इस दुपट्टे की सबसे बडी खासियत यही है कि यह सोखना जानता है ढेर सारा दुख यह आंसूओं की नमी को भी ठंडक मे तब्दील कर देता है बिना तुम्हारी इजाजत के।

न जाने कितनी दफा तुम्हारे आंगन में इसको सूखते देखा इसे महज छू लेने से ऐसा लगता था कि जैसे स्पर्श की नदी तुम्हारे मुहाने तक चली आई बहती हुई मेरे एकांत के जंगल से। मैने न जाने कितनी दफा इसका प्रयोग रुमाल की तरह किया है तुम्हे शायद इसकी खबर भी न हो।

बस यही फिक्र मुझे होती है एक दिन यह भी हो जाएगा तार-तार इसलिए कहता हूँ इसे कम धोया करो कम किया करो प्रयोग यह महज कॉटन का दुपट्टा नही है बल्कि तुम्हारे वजूद का सच्चा गवाह है तुमने इसको खरीदा था बहुत मोल भाव के साथ उस तुम्हें भी अन्दाज़ा नही होगा कि एक कॉटन का अदना सा दुपट्टा किसी के लिए इतना महत्वपूर्ण हो सकता है दरअसल महत्वपूर्ण कोई वस्तु नही होती है उससे जुडी यादें उसे खास बना देती है।

आज भरी दुपहर में तुमसे ज्यादा तुम्हारे इस दुपट्टे की याद आई क्योंकि इसके स्पर्श और गंध में उन किस्सों के वरक खुलते है जिनकी बिनाह पर तुम्हें अपना समझा था आज तुमसे सिमटकर तुम्हारे दुपट्टे पर आ गया हूं अब इसे छूने की नही देखने भर की इच्छा रहती है चाहता हूं तुम रहो न रहों मगर मेरे सामने रहें तुम्हारा यह कॉटन का दुपट्टा है न अजीब पागलपन ! जो भी समझो तुम्हारी मरजी मैने कहा है अपना बीता सुख इस दुपट्टे के बहाने।


‘तार-तार जिन्दगी’

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