Friday, December 30, 2016

दृश्यांतर

दृश्य एक:

तुम क्यों उसको अभी तक खोज रही हो?
वो तो कब का चला गया नेपथ्य में
क्या तुम्हें उसके जाने का दुःख है?
क्या तुम्हें उससे कोई अनुराग हो गया था?
क्या तुम्हारे कुछ सवाल प्रतिक्षारत है?
क्या तुम्हें क्षोभ है किसी बात का?
क्या तुम्हें रोष है किसी व्यवहार का?

नही !

फिर?

क्या केवल तुम्हें दिख रहे है,मेरे अंदर एक बड़ा शून्य है. एक निर्वात की अनुगूंज अन्तस् में बह रही है।मेरे जीवन में क्या की उपयोगिता शेष नही बची है।

तुम्हें खेद है किसी बात का?

नही ! मेरे प्रश्नों पर पूर्ण विराम लग गया है अब कोई आंतरिक कोलाहल नही है।

तुम उसे खोज रही हो?

हो सके तो प्रश्नों की पुनरावृत्ति न करो !
यदि करना अनिवार्य लगे तो मेरे मौन को सही प्रश्न का जवाब समझना तुम्हारी जिम्मेदारी होगी।

उसे खोजा या पाया नही जा सकता है वो जीवन में घटित होता है अस्तित्व के एक हस्तक्षेप की शक्ल में और चला जाता है अपनी तय सीमा में हमें रूपांतरित करके।

तो क्या तुम अब मुक्त हो गई हो?

मैं मुक्त हो गई हूँ या नही ये अभी बता पाना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल होगा क्योंकि फ़िलहाल मैं जरा से सम्मोहन में और जरा से विस्मय में हूँ।

तो मै चली जाऊं?

नही अभी थोड़ी देर बैठो शायद मै तुम्हारे आने को जाना और जाने को आना समझ कोई गीत गुनगुनाउँ या फिर तुम्हें जाते हुए एक कंकड़ दे दूं और कहूँ इसे आसमान की तरफ उछाल देना।

©डॉ.अजित

Sunday, December 25, 2016

ब्रेकअप नोट्स- चार

ब्रेकअप के बारे 'हुआ' शब्द कहा जाता जबकि ये 'किया' जाता है। दरअसल किसी का ब्रेकअप होता तो वो भूल जाता वाक्य में काल दोष वो समझ नही पाता कि ये हुआ है या किया गया है। उसकी गणनाएं बिगड़ जाती सब की सब। ब्रेकअप सिखाता कुछ ऐसे वाक्य में प्रयोग जिनको जिंदगी के व्याकरण में समझा जाता था बेहद निर्मम। ब्रेकअप के बाद आदमी सीख जाता किंतु परंतु के व्यवहारिक अर्थ जीवन में और पहली बार कल्पना भी सोचने लगती बेहद लौकिक बातें।
****
ब्रेकअप एक आकस्मिक मनोदशा है जिसकी किसी किस्म की तैयारी नही होती है इसलिए कुछ दिन यह तय करने में लगते कि जो हुआ क्या उसे अभी होना था? ब्रेकअप टलता रहा होता है कई बार मगर जब ये होता है तब आता अपने पूरे वेग के साथ और बदल देता हमारी दुनिया एक ही पल में। ब्रेकअप इस तरह बदलता हमें कि प्रेम करते लोग लगने लगते झूठे उनकी मुस्कान में देखने लगते हम अभिनय। ब्रेकअप के बाद किसी को आगाह करने का मन नही होता हम देखना चाहतें है उन्हें खुद चोट खाते देखना।
***
ब्रेकअप कुछ अर्थों में एक दैवीय घटना है जो जीवन को पहले अस्त व्यस्त करती और बाद में तटस्थ कर देती। ये अनासक्ति का एक लौकिक प्रशिक्षण है जो मनुष्य को अकेला रहना सिखाती। ब्रेकअप के बाद जीवन में जो बोध उद्घघटित होता वो मनुष्य को एक अकेली इकाई के रूप में स्थापित करता है। अपने ग्रह पर खुद के होने और न होने की उपयोगिता मनुष्य ब्रेकअप के बाद समझ पाता।
****
ब्रेकअप जीवन से प्रेम समाप्त नही करता वस्तुतः आदमी प्यार करने और प्यार को सम्भाल पाने का नैतिक साहस खो देता है ब्रेकअप के बाद। वो महसूस कर सकता है अंजुली भर पानी का बोझ। ब्रेकअप संवदेनशीलता को चरम पर ले जाकर छोड़ देता बिलकुल अकेला। ब्रेकअप के बाद आहत कर सकता एक मामूली सा सवाल ब्रेकअप के बाद खुश कर सकती एक छोटी सी मुस्कान।
****
ब्रेकअप दर्ज होता है जीवन के खराब अनुभव में जबकि ये आता जीवन के सबसे अच्छे पलों के ठीक बाद। ये स्मृतियों में चाहता एक तात्कालिक आरक्षण। उसके बाद कोमल भावनाओं का बढ़ जाता वर्ग संघर्ष। खीझ आत्मदोष और गुस्से के प्रहरियों के साथ मन के वातायन में अकेला टहलता है ब्रेकअप। कारक-कारण की उपकल्पनाओं के मध्य ब्रेकअप पसार देता एक गहरा मौन। ब्रेकअप जीवन में लाता मौन से भरा ऐसा एकान्त जिसमें दूर दूर तक नही होती शान्ति।

© डॉ.अजित
#ब्रेकअपनोट्स

Friday, December 23, 2016

ब्रेकअप नोट्स

ब्रेकअप की भूमिका इतने संदिग्ध ढंग से लिखी जाती कि इसके घटित होने पर एकबारगी खुद पर से यकीन उठ जाता। विश्वास के संदेह में रूपांतरण का नाम ब्रेकअप होता। ये ऐच्छिक चुनाव प्रतीत जरूर होता था परन्तु इसमें हमेशा एकतरफा अतिवाद शामिल रहता जिसकी कीमत चुकानी पड़ती उसे ज्यादा जिसे खुद की मुहब्बत पर ज्यादा यकीन होता।
****
जिनका ब्रेकअप हुआ उनके चेहरे पर साफ़ पढ़ा जा सकता था चंद्रमा का तापमान उनकी आँखें देख बताई जा सकती उस जगह की समुन्द्र तल से दूरी। उनकी हथेलियों पर पढ़ा जा सकता निर्वासित द्वीप का मानचित्र। ब्रेकअप के बाद कदमों के अक्ष झुक जाते एक तरफ जैसे किसी राष्ट्रीय शोक में एक तरफ झुका दिया जाता है राष्ट्रीय ध्वज। ब्रेकअप अस्तित्व के अपमान का एक स्वघोषित राष्ट्रीय शोक है।
****
ब्रेकअप के कारण बताए नही जाते ब्रेकअप के किस्से सुनाए नही जाते युद्ध के दस्तावेज की तरह इसकी गोपनीयत बचाए रखने की जिम्मेदारी उसके हिस्से आती जो हार गया होता किसी अपने से ही एक युद्ध। ब्रेकअप के बाद स्मृतियों को देखा जाता सबसे अधिक उपेक्षा के साथ समझ में नही आता उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाए क्योंकी उन्हें मिटा सकते नही और उनका बोझ सम्भालनें से साफ़ इंकार कर देता है मन का संतुलन सिद्धांत।
****
ब्रेकअप का कोई संदर्भ नही मिलता ना ही इसका कोई भाष्य किसी भी साहित्य में उपलब्ध है ये शब्द उत्तर आधुनिक है मगर इसके प्रभाव पाषाण काल में भी ठीक ऐसे ही थे जैसे आधुनिक काल में है। दर्शन की टीकाओं से लेकर काव्यशास्त्र के काव्य हेतु तक में ब्रेकअप बसा हुआ है बेहद निर्मम ढंग से। शब्द यदि ब्रह्म है तो ब्रेकअप के ब्रह्मत्व के समक्ष मनुष्य बेहद मजबूर होता है इसलिए वो ब्रेकअप को स्वीकार करता है ईश्वर की आज्ञा समझकर।
****
अलग अलग रिश्तों में ब्रेकअप जी रहे दो लोग आपस में जल्दी मित्र नही बन पाते है। न ही घायल की गति घायल जाने जैसे सूत्र वाक्य इस घटना पर लागू होते है। ब्रेकअप के बाद दुःख को बांटना अच्छा नही लगता ब्रेकअप इस मामले में है थोड़ा आत्ममुग्ध वो हंसता है उन दूसरे दुखों पर जो चर्चा का विषय बन गए होते। ब्रेकअप एक नितांत ही एकांतिक चीज है जिसके बाद पर अपने कष्टों पर बातें करना सम्मानजनक नही लगता है यह मनुष्य को परिपक्वता के साथ अकेला रहने के लिए अनचाहा प्रशिक्षण दे जाता है।
© डॉ.अजित

#ब्रेकअपनोट्स

Thursday, December 22, 2016

ब्रेकअप

ब्रेकअप पर 'ब्रेकअप सांग' गाने वाले विरले होते है, शायद फिल्म फंतासी की एक दुनिया है इसलिए फिल्म में ब्रेकअप सांग गाने की कल्पना की जा सकती है। जिनका हाल ही में ब्रेकअप हुआ है उन्हें ऐसे गाने एक सम्बल दे सकते है इसकी संभावना थोड़ी कम नजर आती है क्योंकि ब्रेकअप के बाद ब्रेकअप का जश्न मनाना थोड़ा मुश्किल काम है। दर्शन की भाषा में कहूँ तो जुड़ना और टूटना शाश्वत प्रक्रिया विज्ञानवादी मस्तिष्क इसे अणुवाद के माध्यम से समझ सकते है। ब्रेकअप के प्रभाव विशुद्ध रूप से मनोवैज्ञानिक होते है कभी आत्मदोष तो कभी परनिंदा के मध्य फंसा हुआ वजूद अलग अलग किस्म से रिश्तों को परिभाषित करता है। कभी मैंने ब्रेकअप कुछ फुटकर नोट्स लिखे थे उन्हें आज आपके साथ शेयर कर रहा हूँ इस उम्मीद से कि ये कभी जरूर पढ़ने लायक समझें जाएंगे।
___________________________________
' ब्रेकअप महज दो शब्दों का योग नही था, इसकी ध्वनि में एक विचित्र सी खीझ थी खुद के प्रति एक अनजाना गुस्सा इसमें शामिल था, खुद के बारे में हाउ स्टुपिड जैसे कथन घनघोर हो गरजते थे। शब्दकोश में अकेला शब्द था ब्रेकअप। संज्ञा से विशेषण बना था मगर व्याकरण के लिहाज से इसमें था वाक्य दोष इसका वाक्य में प्रयोग छोड़ जाता था ऐसी त्रुटि की पूर्ण विराम लगाने के लिए उठी कलम उठी ही रह जाती नही मिलती थी उसको रखने की जगह। ब्रेकअप तरल था पानी की तरह ब्रेकअप ठोस था पारे की तरह।
******
ब्रेकअप के बाद की सुबह रात की प्रतिलिपि मांगकर लाती थी उधार इसलिए सूरज निकलता था कुछ देर की विलम्ब से। ये अगला दिन गायब हो जाना चाहता था विश्व के कैलेंडर से यहां तक मंजन करते समय हम चाहते है कि आज पेस्ट ब्रश से न करके अंगुली से किया जाए क्योंकि उस दिन चुभती थी ब्रश की ध्वनि भी।  ब्रेकअप से अगला दिन दरअसल रात की तरह ही था बस फर्क इतना लगता कि हम आँख बंद करके अंधेरे में अँधेरे को नही देख सकते थे।
****
ब्रेकअप एक थकन भरी सांत्वना थी जो बताती कि मनुष्य के तौर पर विकल्पहीनता सबके हिस्से में आती है एकदिन। उम्मीद दुबकी रहती मन के एक कोने में कि शायद एकदिन फिर से सब ठीक हो जाए। 'शायद' बोलचाल के शब्द के बाद सबसे गहरा अर्थ ब्रेकअप के बाद ही समझ जाता है। जैन मुनियों ने यही से लिया होगा अपने दर्शन का 'स्यादवाद'।
****
ब्रेकअप की घोषणा प्रायः एकतरफा होती दोनों चाहकर भी एकस्वर में नही कर पाते घोषणा ब्रेकअप की। इसमें एक वक्त होता और एक श्रोता यह दुनिया की सबसे विकट जनसभा होती जिसमें नही जरूरत पड़ती किसी लाउडस्पीकर की। ब्रेकअप अंतिम उपाय नही होता हां ! बस इसे चुन लिया जाता अंतिम उपाय से कुछ देर पहले।
****
ब्रेकअप के बाद ईश्वर देख पाता मनुष्य के एकान्त को भीड़ में उसको चिन्हित करना होता ईश्वर के लिए बेहद आसान ईश्वर के अलावा कोई एक दोस्त भी देख सकता था लगभग समान रूप से। ब्रेकअप दोस्त को बना देता एक पल में ईश्वर जिसको गले लगाकर रोया जा सकता बेसबब मगर ब्रेकअप नही मिलने देता था ऐसे ईश्वर बने दोस्त से कभी भी।

(जारी)

©डॉ.अजित 

Wednesday, December 14, 2016

नदी

दृश्य एक:

पहाड़ झरनें से कहता है मेरे तलवे पर एक पता लिखा है उसे नदी के पास पहुँचा देना।
झरना जवाब देता है नदी उसे अपना दोस्त नही मानती इसलिए वो नदी से मिलने जाने में खुद के अंदर आकर्षण का अभाव पाता है।
पहाड़ झरने की पीठ पर आंसू से आग लिखता है जो नीचे जाकर पानी बन जाती है मगर पत्थर और शैवाल उस पानी में तपन महसूस करते है।

दृश्य दो:
नदी अपने किनारे से कहती है देखना मेरी आँख में कुछ चला गया है। किनारा कहता है ये तो असल के आंसू है मगर आँख में कुछ नही है।
नदी किनारे को उसी पल छोड़ कर आगे बढ़ जाती है। किनारों की आँख में अधूरा काजल पड़ा है उनकी माँ ने उलटे दिए पर स्याही निकाली थी मगर उनकी उंगलियों की कोमलता अनुपस्थित हो गई है इसलिए उन्हें डर था  कहीं खुद ही आँख को जख्मी न कर दें।
जिसकी आँख जख्मी है वो बेफिक्र है उसे बताने वाला कोई नही है।

दृश्य तीन:
आसमान आलथी-पालथी मारकर बैठा है हवा उसके बालों में हाथों से कंघी कर रही है। आसमान जमीन के कान को देखकर ये अनुमान लगा रहा है कौन सा कान छोटा है और कौन सा बड़ा।
आसमान धरती के बोझ को तोलना चाहता है इसलिए कान धरती की नाभि पर लगा देता है अंदर कोई कोलाहल नही है। आसमान बाहर के कोलाहल पर विस्मय से भरता है वो अपनी आँखें बंद लेता है। पहली बार ऐसा होता है कि आसमान को आँख बंद करने पर चक्कर नही आए। इस पर आसमान हंसता है तभी बारिश हो जाती है। धरती आसमान की पीठ देख पाती है बस।

©डॉ.अजित

Tuesday, December 13, 2016

बातें

दृश्य एक:
पैरिस के एक ब्यूटी सैलून में दो स्त्री आपस में बात कर रही है।
क्या तुम मिरर पर यकीन करती हो?
नही मैं खुद पर थोड़ा यकीन करती हूँ
यकीन भी क्या थोड़ा या ज्यादा हो सकता है?
मेरा मतलब था कभी यकीन होता है कभी नही
अच्छा ! ख़ूबसूरती क्या मन की हो सकती है?
आई डोंट थिंक सो !
और तन की?
खूबसूरती तन की नही होती,तन को बस नोटिस किया जा सकता है
अगर मै कहूँ तन को केवल जज किया जा सकता है?
मन को जज किया जाता है तन को डिफाइन किया जा सकता है
तो क्या मन को डिफाइन नही किया जा सकता?
शायद नही
अच्छा आख़िरी बार बेफिक्री में तुमने मिरर कब देखा था?
अभी अभी देखा है तुम्हारी आँखों में
आँखें क्या मिरर हो सकती है?
आँखों को मिरर नही कहना चाहिए ऐसा कहना कम्प्रेजन करना होगा
फिर क्या कहना चाहिए?
कुछ नही कहना चाहिए बस प्यार से आँख में देखना चाहिए
तुम यहां किस लिए हो? खूबसूरत दिखने के लिए?
नही मैं यहां आकर देखना चाहती खूबसूरती क्या रची जा सकती है?
तो क्या पाया तुमनें
मैं यहां कुछ पाने नही खोने आती हूँ
हम्म !

दृश्य दो:
ये अफ्रीकी देश की एक सुबह है। कॉफी उबल रही है। दो स्त्रियां लोकगीत गुनगुना रही है। प्रतिक्षा उनकी आँखों में पढ़ी जा सकती है। एक स्त्री कहती है धूप से कुछ अनुमान नही लगता है ये समय की बंधुआ मजदूर बिलकुल नही है ये आसमान की बेटी है जो धरती पर खेलने आती है हम इसे देख सकते है मगर छू नही सकते।
इस पर दूसरी स्त्री मुस्कुराती है अनुमान लगाना मनुष्य की एक सुविधा है सुख के अनुमान पर दुःख विलंबित किया जा सकता है। हवा के अनुमान पर बादल को नाचते हुए देखने की आस पाली जा सकती है।
तभी एक पुरुष आता है वो कॉफी मांगता है
दोनों स्त्रियां एक स्वर में सोचती है माँगना पुरुष की एक सुविधा है
और देना स्त्री का सुख
दोनों स्त्री आसमान की तरफ देखती है और अपने अपने अनुमान वापिस आसमान के पास रवाना करती है।
अनुमान से मुक्ति स्त्री की आदि कामना है इसी को गीत बनाकर गुनगुनाने लगती है। ये विश्व का एक लोकप्रिय लोकगीत है जिसे किसी भी भाषा में गुनगुनाया जा सकता है।

© डॉ.अजित

Monday, December 12, 2016

फादर

दृश्य एक:

फादर से  हैरी पूछता है
'फादर ! सबसे लकी पेरेंट्स कौन होते है?
फादर मुस्कुराते हुए जवाब देते है माई डियर चाइल्ड दुनिया में सबसे हैप्पी पेरेंट्स वो होते है जो एक दुसरे से सच में प्यार करते है
मगर फादर मैंने तो लकी पेरेंट्स के बारे में पूछा था,हैरी दोबारा सवाल दोहराता है
फादर कहते है लकी होने से ज्यादा खुश होना ज्यादा जरूरी है
फिर हैरी कोई सवाल नही करता है वो खुशी को समझना चाहता है मगर उसके लिए किसी और दिन फादर से सवाल करेगा वो फादर को थैंक यू बोलता है और चला जाता है।

दृश्य दो:
एक यंग कपल चर्च में आता है
दोनों एक दुसरे का हाथ जुम्बिश के साथ थामे हुए है
दोनों जीसस से प्रेयर करते है
दोनों की आँखें बंद है
दोनों फादर से अलग अलग बात पूछते है
पहले लड़का सवाल करता है
फादर ! लव हमेशा ट्रू कैसे बना रहा सकता?
फादर लड़की की आँखों में देख जवाब देते है
लव तभी तक ट्रू बना रह सकता है जब तक उसमें कोई कंडीशन न हो
लड़का जवाब से संतुष्ट नही होता वो कहता है
कोई कंडीशन न हो यह खुद में एक कंडीशन है
इसी बीच लड़की अपना सवाल रखती है
फादर ! दुनिया में प्योर क्या है?
फादर दोनों को एक साथ देखते है और कहते है
प्योर की तलाश दुनिया में एकमात्र प्योर चीज है
बाकि सब में अलग अलग डिग्रीज़ में स्टैंडर्ड एरर है
दोनों फादर के गणितज्ञ की तरह बोलने पर हैरान है
दोनों जीसस के पास सवाल छोड़ लौट आते है।

दृश्य तीन:
फादर बाइबिल को चर्च की प्यानों पर रख देते है
प्यानों के कुछ कॉर्ड्स दबतें है
एक साथ कई सुर निकलते है
फादर तुरन्त बाइबिल उठा लेते है
और चौंक कर देखते है किसी ने देखा या सुना तो नही
यह देख जीसस की मुस्कुराहट बढ़ जाती है
मगर उसे फादर नही देख सकते है।

दृश्य चार:
फादर अब चर्च की लाईब्रेरी में है
मार्गेट लिसा चर्च में है
किताबें प्रार्थनारत है
और मनुष्य सब कुछ ठीक होने की उम्मीद में है
मार्गेट लिसा जीसस से कहती है
चर्च में फादर के बिना उसे अच्छा लगता है
उसे लगता है वो सीधा जीसस से बात कर सकती है
उसे चर्च में फादर तब चाहिए
जब उसे जीसस से बात न करनी हो
तभी फादर आते है
मार्गेट उन्हें गुड इवनिंग फादर कहती है
जवाब में फादर गुड मॉर्निंग लिसा कहते है
चर्च की घड़ी अब मुस्कुराती है
जीसस अब एक पल के लिए आँखें बंद कर लेते है।

© डॉ.अजित