Tuesday, November 19, 2013

तीन स्टेट्स

बुद्धिमान पत्नी
परिपक्व प्रेमिका
भावुक साथी
और सच्चे दोस्त

की तलाश में अपेक्षाओं के बीहड़ में भटकता जब रोज़ शाम अपनी कब्र में दाखिल होता है तब उसका एकांत उस पर हंसता है और वो नजर चुराकर बडबडाता है ये कमबख्त दूनिया मुझे गलत समझे जाने के लिए शापित है ।


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कविता की सम्वेदना पर तब्सरा करने से पहले खुद का व्यवहार देखिए कि आप रिक्शेवाले,फल-सब्जी की रेहडी लगाने वाले,बूट पोलिश करने वाले,दिहाड़ी मजदूर,समाज के फिफ्थ क्लास लोगो के साथ किस तरह से पेश आतें है आपकी बातचीत की टोन कैसी होती है।

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हर शख्स के अंदर एक साहित्यिक किरदार बसता है जिस पर कविता लिखी जा सकती है जो किसी भी उपन्यास का नायक हो सकता है।

Tuesday, November 12, 2013

मन

मन से मन का अतिक्रमण करने को सोचने मात्र से पूरा अस्तित्व विद्रोही हो जाने की धमकी देने लगता है. मन चंचल है यह तो शास्वत है लेकिन मन आदेश पालना के मामले में भी प्राय: एकाधिकारी होने की चेस्टा करता है.मन कॊई  इकाई नही है लेकिन मन के बिना कोई इकाई दहाई नही बन पाती है. मन की एक उड़ान है अपनी गति भी है लेकिन मन की  लय लोक से अभिप्रेरित प्रतीत होती है दिशाबोध के मामले में भी मन के कुछ अपने पूर्वानुमान हैं  जिनको वह अर्द्धचेतन में सुरक्षित रखता है और जब जब शाम गहराती है या धुंध के बादल छा जाते है तब मन उनसे पड़ताल करवाता है कि उसको किस दिशा में उड़ना है. एक अस्तित्व के अंदर कितने अस्तित्व और उन सभी अस्तित्व के भी  कितने स्तर गूथे हुए है इसको सुलझाने में वर्षो बीत सकते हैं. मन बावरा है मन  व्याकुल भी है मन निरुपाय भी है लेकिन ये मन ही तो है जो अचानक से हमे अंदर तक आनंद में तर कर देता है और अचानक से उदासी में लिपटी मुस्कान छोड़ जाता है. मन को समझाना व्यर्थ है हम मन को समझा नही सके है जब हम मन को समझा रहे होते है तब मन तो बंकिम हंसी से हमारी छटपटाहट पर मुस्कुरा होता है दरअसल हम मन के चक्कर में अपने इगो को समझा रहे होते है.मन इगो से परे है उसकी अपनी एक दुनिया है,इगो लोक का दास है तो मन अपने मन का मुरीद.यह दासता में जी ही  नही सकता है न यह किसी को अपना दास बनाना चाहता है हाँ ! ये उन्मुक्त खुला गगन चाहता है जहां लोक के अभिसारी बंधन न हो जहाँ अपेक्षाओ का बोझिल संसार न हो...मन को समझना दरअसल खुद को समझने जैसा है यह जितना प्रकट है उससे कंही अधिक गुह्य भी.मन को स्तरों पर न बांधो मन का विश्लेषण भी मत करो बस अपने मन कि सूक्ष्म उपस्थिति को अनुभूत करो इसके बाद मन के प्रश्न खुद जवाब में रूपांतरित हो जायेंगे फिर शायद आपको मन को जीतने की जरूरत भी न पढ़े क्योंकि तब तक आपका मन के साथ जीने का अभ्यास विकसित हो चूका होगा फिर गीता के उपदेश सुनने में आनंद ले सकोगे क्योंकि फिर ये उपदेश आपको अपराधबोध में नही ले जा सकेंगे बल्कि आप खुद योगिराज कृष्ण के वाक् चातुर्य और अर्जुन के अवसाद पुनर्वास का सच्चा आनंद ले सकेंगे जिससे आप अभी तक वंचित है. 

Sunday, November 10, 2013

हरजाई

मेरे जैसे गैर पेशेवर शख्स के जीवन में  यंत्रो की  भूमिका पर कई बार गहराई से सोचता हूँ यहाँ गैर पेशेवर से आशय कंप्यूटर की तकनीकी दुनिया से ताल्लुक न रखने से है.पिछले दो महीने से घर पर लैपटॉप पर नेट का कनेक्शन नही चल रहा है वजह दो है एक तो हर महीने हजार रुपये का टाटा फोटोन प्लस का रिचार्ज जेब पर भारी लग रहा था दूसरा यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट में ब्रॉडबैंड सुविधायुक्त एक पीसी मेरे कब्जे में आ गया है जहाँ से मैं देश दुनिया से जुड़ा रहता हूँ बस इसी सुविधा के चलते घर पर फोटोन प्लस की कुप्पी गोदरेज के अलमारी पर पड़ी धूल फांक रही है. मेरी इस मनमानी और बेरुखी का सबसे बड़ा भुक्तभोगी मेरा 4 साल पुराना लैपटॉप बना हुआ है आज मैंने उसको देखा तो मुझे अपने मतलबी होने का बड़ा अफ़सोस हुआ क्योंकि बिना इंटरनेट के उसको खुले भी कई कई दिन हो जाते है वो भी उसी गोदरेज के अलमारी कि छत पर धुल की खुराक ले रहा है. फोटोन प्लस की कुप्पी और लैपटॉप फिलहाल मेरे जीवन की सबसे उपेक्षित वस्तु बनी हुई है  . कभी कभी सोचता हूँ कि जो लैपटॉप मेरे  सुख दुःख का इतना बड़ा भागीदार रहा है जिसके कीपैड ने मेरे हताशा और नाराज़गी के पलों में अपनी छाती पिटने के लिए  मेरे निर्मम हाथो के हवाले कर दी हो और हमेशा मेरे मन के द्वन्द को शब्दो का आकार दिया हो वो इनदिनों कितना तन्हा महसूस करता होगा उसे तो ये भी नही पता होगा कि मैंने एक नया यार यूनिवर्सिटी में बना लिया है  अगर उस यंत्र का अपना कोई सोचने का तंत्र होता तो मनुष्य के रूप में उसके लिए सबसे घ्रणा का पात्र मै ही होता.लैपटॉप की मेमोरी  में बेतरतीब पड़ी फाइल्स भी मुझे लानत भेजती होगी जिनको खोले भी मुझे एक पखवाड़ा  हो गया है. कुल मिलकर मेरा लैपटॉप तभी तक गुलज़ार था जब तक उसमे इंटरनेट की प्राणऊर्जा बह रही थी जैसी ही इंटरनेट बंद हुआ लैपटॉप कि ड्राइव में पड़ी फाइल्स भी अपने अपने फोल्डर में कैद हो गयी है वो मुझ हरजाई की एक क्लिक के इन्तजार में बावरी हो रही होगी ये सोच कर मेरा जी भर आता है. लैपटॉप के यूएसबी हलक में लैला मजनूँ सी फंसी रहने वाली टाटा फोटोन प्लस की कुप्पी भी कितनी बेबस हो गयी है क्योंकि उसके पास नेटवर्क का सिग्नल तो है लेकिन मुद्रा की खुराक नहीं जिसके चलते टाटा कंपनी ने उसका दाना पानी बंद कर दिया है अब घर के एकांत में मेरा लैपटॉप और फोटोन प्लस की कुप्पी अपने अपने दुःख के संगी साथी बन थोडा मुझे कोस रहे होंगे और थोडा उसका कथित भगवान् को जो हर महीने मेरा हाथ तंग ही करता जा रहा है. फोटोन प्लस की कुप्पी की चिंता और भी बड़ी होगी क्योंकि अगर एक महीने मै अगर ऐसे ही सरकारी पीसी के इश्क़ में पड़ा रहा तो फिर टाटा कंपनी उसको हमेशा के लिए खामोश कर देगी.मनुष्य के तौर पर मैं केवल साक्षी भाव से अपने बुरे दिनों के अच्छे साथी रहे इन दोनो  साथी की पीड़ा देखकर बैचैन जरुर हूँ लेकिन फिलहाल अपनी जेब को देख कर चुप हो जाता हूँ बस आज सांत्वना के लिए मैंने इतना किया कि उन पर वक्त की मार ने जो गर्द चढ़ा थी उसको मैंने साफ़ किया और मै कर भी क्या सकता हूँ....:( 

Saturday, November 9, 2013

अथ फोन कथा

बहुत दिनों से स्पाईस का 2700 रुपये का खरीदा हुआ फोन प्रयोग कर रहा था अभी एक हफ्ते पहले फ्लिपकार्ट पर किताब तलाश रहा था तभी मेरी नजर इस फोन पर पडी और मेरी जी ललचा गया जब जेब टटोली तो वो फटेहाल थी फिर देखा कि इस फोन को खरीदने के लिए ईएमआई की सुविधा उपलब्ध है यह देखकर थोडा जी राजी हुआ लेकिन जब हमने आप्शन देखे तो वहाँ एचडीएफसी,आईसीआईसीआई जैसे बडे बैंकों के क्रेडिट कार्ड होल्डरस के लिए उक्त सुविधा थी फिर मन मसोस कर रह गया तभी छोटा भाई ऑनलाईन था उसको सारा मसला बताया वो नोएडा की एक साफ्टेवेअर कम्पनी मे कार्यरत है हालांकि तनख्वाह उसकी भी कमोबेश मेरे जितनी ही है लेकिन उसके पास एचडीएफसी का ऑफर देकर दिए जाने वाला क्रेडिट कार्ड है उससे बडे भाई की मन मसोस कर रह जाने हालत देखी नही गई और उसने तभी अपने क्रेडिट कार्ड से यह फोन जिसकी कीमत 17400/- (ईएमआई मोड पर) तुरंत आर्डर कर दिया अब मै हर महीने इसकी किस्त जमा कर दिया करुंगा 6 महीने की ईएमआई के बाद यह फोन पूर्णॅकालिक अपना हो जायेगा...सौभाग्य से अपना स्पाईस वाला फोन भी ठीक ठाक कीमत पर बिक गया है और उसमे कुछ पैसे डालकर इस फोन की पहली ईएमआई मैने जमा भी कर दी है...अगले महीने की तब की तब देखेंगे...फिलहाल तो 2-3 घंटे से इसके फंक्शन देख रहा था एंड्रायड फोन है सो नेट अच्छा चलता है...बस यही छोटी सी कहानी है अपनी भाई भाई के काम आ गया इससे यह खुशी फोन लेने की खुशी से कई गुना बडी है....
(हम ठहरे थे पीएनबी के बचत खाते वाले करमठोक इंसान जिनकी पे स्लिप देखकर खुद का बैंक भी मदद करने साफ मना कर देता है और हर महीने सेलरी आते है सबसे उत्साह से एक ही काम होता है वह होता है खाते को जीरो बैलेंस कर देना...ऐसे में पूर्णकालिक वेतनभोगी भाईयों का ही सहारा शेष बचता है..)