जो मुझे प्रिय है वो सदा के लिए प्रिय हैं। उसको खोने को लेकर मेरी लौकिक चिंताएं लगभग शून्य है। मुझे लगता है एक बार वो मेरे पते से भटक भी गया तब भी एक न एक दिन मुझ तक पहुँच ही जाएगा। मेरा चित्त जिसकी निकटता से आह्लाद महसूसता है उसको मुक्त रखना मेरे लिए अनिवार्य है तभी वह नैसर्गिक रूप से मुझसे जुड़ा रह सकता है। डर दुश्चिंता और अपेक्षाओं के बोझ से मैं अपने मन के प्रिय को निस्तेज या निष्प्रभ नही करना चाहता हूँ।
सम्भव है मुझे उससे सांसारिक शिकायतें भी हो मगर वो शिकायतें मेरे मन में उसका स्थान इंच भर भी इधर उधर नही कर पाती है इन शिकायतों का निस्तारण मैं बहुधा समय के ऊपर छोड़ देता हूँ।
जो मेरा प्रिय है वो किसी और प्रिय शायद ही बन पाता है यह एक मेरे अस्तित्व की कमजोरी कह लीजिए या खासियत मैं इसे स्व के गौरव के रूप में देखता हूँ।
मेरे लिए निकटता या दूरी से अधिक महत्वपूर्ण है सम्वेदना के कोमल तंतुओं को नर्म स्पर्शों से निहारते रहना उनमें गांठ न लगने देना इसके बाद मैं एक ऐसी गहरी आश्वस्ति से भर जाता हूँ कि मुझे यह भय नही रहता कि मेरे प्रिय को कोई अपने किसी भी साधन से मुझसे विलग कर सकता है।
क्षण भर के लिए यदि ऐसा आभास भी आता है तो मैं उस पर मुस्कुरा भर देता हूँ फिर वो शंका कपूर की डली की तरह उड़ जाती है मेरे लिए प्रिय होने का अर्थ है किसी का समग्रता के साथ प्रिय होना न कि कुछ कुछ बिन्दुओं के साथ किसी को प्रिय समझना।
मैं का अतिशय प्रयोग कतिपय मेरा अभिमान न लगें इसलिए बताना जरूरी समझता हूँ यहां मैं में भी हम समाहित है मतलब मैं जिन्हें प्रिय हूँ और जो मुझे प्रिय है यह सम्वाद दोनों के चित्त की यात्रा का एक संक्षिप्त आख्यान भर है।
'मेरे प्रिय'
सम्भव है मुझे उससे सांसारिक शिकायतें भी हो मगर वो शिकायतें मेरे मन में उसका स्थान इंच भर भी इधर उधर नही कर पाती है इन शिकायतों का निस्तारण मैं बहुधा समय के ऊपर छोड़ देता हूँ।
जो मेरा प्रिय है वो किसी और प्रिय शायद ही बन पाता है यह एक मेरे अस्तित्व की कमजोरी कह लीजिए या खासियत मैं इसे स्व के गौरव के रूप में देखता हूँ।
मेरे लिए निकटता या दूरी से अधिक महत्वपूर्ण है सम्वेदना के कोमल तंतुओं को नर्म स्पर्शों से निहारते रहना उनमें गांठ न लगने देना इसके बाद मैं एक ऐसी गहरी आश्वस्ति से भर जाता हूँ कि मुझे यह भय नही रहता कि मेरे प्रिय को कोई अपने किसी भी साधन से मुझसे विलग कर सकता है।
क्षण भर के लिए यदि ऐसा आभास भी आता है तो मैं उस पर मुस्कुरा भर देता हूँ फिर वो शंका कपूर की डली की तरह उड़ जाती है मेरे लिए प्रिय होने का अर्थ है किसी का समग्रता के साथ प्रिय होना न कि कुछ कुछ बिन्दुओं के साथ किसी को प्रिय समझना।
मैं का अतिशय प्रयोग कतिपय मेरा अभिमान न लगें इसलिए बताना जरूरी समझता हूँ यहां मैं में भी हम समाहित है मतलब मैं जिन्हें प्रिय हूँ और जो मुझे प्रिय है यह सम्वाद दोनों के चित्त की यात्रा का एक संक्षिप्त आख्यान भर है।
'मेरे प्रिय'