Thursday, September 25, 2014

राग

किसी शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम में मुख्य वादक और उसके साथी साजिंदो के बीच कार्यक्रम शुरू होने से पहले सुर मिलाने के आँखों के इशारों सा और फिर कार्यक्रम के उरूज़ पर बढ़िया संगत की खुशी को आपस में आँखों ही आँखों में इशारों में बांटना ऐसा ही कुछ तुम्हारे साथ बांटना और साधना मैंने भी चाहा था मगर अफ़सोस तुम न मेरी आँखों की खुशी पढ़ पाए और न रिश्तों के सुर साधने के गुप्त इशारे ही पकड़ पाए।
आज सुर लय ताल बगावत पर है और मेरे आलाप में सिलवटें आ गई है कभी हम बढ़िया संगतकार थे अब बढ़िया कलाकार है सोच रहा हूँ इस बात पर तुम्हें बधाई दूं या न दूं...
चलो ! कह ही देता हूँ  बधाई हो ! सम्बन्धों के शास्त्रीय कार्यक्रम में काफी भीड़ जुटा ली है तुमनें ।कभी फुरसत मिलें तो कुछ रिकॉर्ड मुझे भी भेजना तुम्हें लाइव सुनने का साहस तो मै कब का खो चुका हूँ।

'राग बेदम ए इलाही'
© डॉ. अजीत 

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