Monday, October 28, 2013

इंटरनेट

देश मे इंटरनेट सेवाओं के नाम पर छोटे और मझोले श्रेणी के शहर के मेरे जैसे नेटाश्रित परजीवीयों को कितने बडे शोषण का सामना करना पडता है उसको ब्याँ करना मुश्किल है घरेलू बजट की तमाम चुनौतियों के बावजूद मै पिछले एक साल से टाटा फोटान प्लस यूज़ कर रहा हूँ इसके हलक में हर महीने एक हजार का रिचार्ज़ रुपी चारा डालना पडता है तब यह मुझे आप सब से जोडे रखता है। टाटा कम्पनी का दावा है कि 1000 रुपये में वो 6 जीबी डाटा एक्सेस देती है वो भी 3जी ब्राडबैंड स्पीड के साथ और ये दावा कितना हवाई है इसका चश्मदीद गवाह मै हूँ जिस दिन मै अपनी इंटरनेट की कुप्पी (यूएसबी मॉडम) रिचार्ज़ करवाता हूँ उस दिन और लगभग एक हफ्ते तो नेट फर्राटा स्पीड से चलता है लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता जाता है स्पीड कम होती जाती है हालत यह होती है कि 15 दिन बीतने पर यह डिवाईस 2जी (टाटा फोटोन विज़) के सिग्नल दिखाने लगती है और स्पीड एकदम से रुलाने वाली....मै कई बार कस्टमरकेयर पर कॉल कर चुका हूँ उनका एक ही रटा-रटाया जवाब होता है सर आपका 6 जीबी डाटा समाप्त हो चुका है जबकि हकीकत यह है कि इस 6 जीबी डाटा खत्म होने की चिंता में मै यूटयूब पर वीडियों चलाने से पहले हजार दफा सोचता हूँ एक महीने में मुश्किल 2-3 तीन वीडियों देखता हूँ बाकि फेसबुक या ईमेल/नेट सर्फिंग ही करता हूँ। इन जालिम मोबाईल नेटवर्क कम्पनियों को छोटे शहर की नब्ज पता है और यहाँ इंटरनेट के अन्य विकल्प भी ज्यादा मौजूद नही है ऐसे मे मनमाफिक तरीके से उपभोक्ताओं का शोषण करती है। कई दफा बीएसएनएल का लैंडलाईन ब्राडबैंड के विकल्प पर भी सोचा लेकिन उनकी प्रक्रिया लम्बी और सेवा घटिया किस्म की है फिर इस शहर मे अपना ठिकाना भी अस्थाई किस्म का है इसलिए अंत में टाटा जैसी कम्पनियों पर ही आश्रित रहना पडता है....बडी जलन होती है जब मेट्रो शहर मे बैठे मित्र अनलिमिटेड इंटरनेट सेवा का मजा लेते है और वो भी इससे आधे दामों पर....तकनीकी भी कई बार हमे जीवन की परिस्थितियों की तरह समझौतावादी बनने के लिए बाध्य करती है....! हे ! रत्नलाल टाटा जी ऐसा जुल्म न करो कुछ तो रहम करों हमने किताबों में आपके बारे में पढा है कि भारत के नवनिमार्ण में आपकी महती भूमिका रही है फिर इंटरनेट की सेवाओं के नाम पर यह शोषण क्यों....?

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