आप माने या ना माने मै अपवादों की बात नही कर रहा हूँ लेकिन सांसारिकता में एक पीढी हमेशा संघर्ष के बुरे दौर से गुजरती है मसलन यदि आपके पिताजी ने संघर्ष किया है तो आपके लिए जीवन की राह थोडी आसान जरुरी रहेगी लेकिन यदि आपके पिताजी ने मौज-मस्ती (अन्यथा अर्थ न लें) की है तो आपको हाड तोड संघर्ष करना पडेगा आपके बच्चे भले ही मौज करें मेरे हिसाब से यही दूनियादारी का नियम है।
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