Monday, October 28, 2013

मुसलमान

जो लोग मुसलमानों का वजूद केवल जिहाद और आंतक से जोडकर देखते है उनकी सोच पर तब्सरा नही किया जा सकता है बल्कि वो दया के पात्र है क्योंकि समग्रता से देखने की दृष्टि से देखने के लिए जाति,धर्म,सम्प्रदाय और यहाँ तक कई देशभक्ति के चश्में से भी उपर उठकर सोचना पडता है। सियासत की रंग इतना गहरा होता है कि यह सोचने ही नही देता है हमें और हम हर पल असुरक्षा से घिरे यही सोचते रहते है कि अच्छा होता सारे मुसलमान विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए होते फिर हम यहाँ मजे से जी रहे होते खुराफाती दिमाग वाले दोनों तरफ है ऐसा नही है खालिस मुसलमान ही हिसंक या आंतक के पर्याय है कभी हिन्दूओं (कट्टर हिन्दूओं ) की बैठकों में मुसलमानों का जिक्र छेडकर देखिए फिर कैसे लोग अपने खंजर की धार तेज करते है बात बेहद कडवी है लेकिन यहाँ तक बातें होती है कि अगर मारकाट हुई मै कितने मुसलमानों को ठिकाने लगाऊंगा मुझे यह हिप्पोक्रेसी कभी पसंद नही आयी कि हम केवल एक ही पक्ष पर देखे,लिखे और पढे...अमन पसंद लोग दोनो तरफ है और खुराफाती भी दोनो ही तरफ है अब यह तर्क नही करना चाहूंगा कि किसने शुरुवात की या किसने ऐसा करने के लिए उकसाया...यह एक अतिसम्वेदनशील मसला है इसलिए मै इस पर कोई विवाद खडा नही करना चाहता हूँ लेकिन खुद के प्रति ईमानदारी जरुरी है।
यदि मान भी लूँ कि मुसलमान इस देश के लिए खतरा है तो भाई ये कैसे मान लूँ कि इस देश की कला,साहित्य,संस्कृति,संगीत के उन्नयन में मुसलमानों का कितना बडा योगदान है। मीर,गालिब से लेकर समकालीन शायरों फनकारों को पढकर सुनकर जो रुह को खुराक मिलती है वो इन तमाम घृणा फैलाने वाले तर्को से कही बडी है। आज के मुश्किल दौर मे जब धर्म के नाम पर सियासत जोरो पर है ऐसे में इन मुस्लिम फनकारों को कितनी मुश्किलों का सामना करना पडता होगा उसे सोच कर ही फिक्र होती है अपने खुद के वतन मे खुद की ईमानदारी और निष्ठा का प्रमाण पत्र बार बार देना पडता है लेकिन फिर भी वो अपनी बेहतरीन खाकसारानें कोशिसे हम तक पहूंचा रहे है मै तो दिल से उनका आभारी हूँ क्योंकि इंसानियत के लिए हमे ऐसे लोगो की सख्त जरुरत है।

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