वो खत आज पोस्ट कर दिए जिन पर पतें नही लिखे थे इससे पहले वो यादों की तरह बैरंग लौट आयें मुझे अपना पता बदलना होगा फिर उनके बोझ तले मुहल्लें का डाकिया अभिशप्त जिन्दगी का ईनाम माँगता अगली दीवाली तक मेरे नए पते लिए मुझे ढूंडता हुआ आ धमकेगा और मैं साफ़ मुकर जाऊंगा कि मैने होश में ऐसे कोई खत लिखे ही नही यही मेरी वसीयत है।
adhbuth
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