बड़े नामों चेहरों की साध संगत का अलग ही नशा होता है खुद लोकप्रिय और बौद्धिकजन भी इससे मुक्त नही होते है दिन में फेसबुक पर ऐसे कई फोटो आँखों के सामने से गुजरते है जिसमे लोगबाग़ खुद के रसूखदार लोगो के साथ खिंचवाए फोटो शेयर करते है हमारी नजरो में जो बड़े है और जिनके साथ हम फोटो खिचवाने को लालायित रहते है वो किसी दुसरे बड़े चेहरे के साथ खड़े होकर खुश होते नजर आते है ये आदमी की सम्पर्क सम्पन्नता का मनोविज्ञान है जो हर आदमी की मानवीय कमजोरी भी है और जो इन सबसे मुक्त है वो सच्चे अर्थो में फक्कड है उसे फेसबुक से क्या मतलब।
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