Monday, October 28, 2013

फेसबुक

फेसबुक की खुबसूरती इसकी विविधता है यहाँ किस्म किस्म के लोग किस्म किस्म की विचारधारा देखने पढने को मिलती है सच्चे अर्थो में यही पर सच्चा लोकतंत्र है. यहाँ खांटी वामपंथी भी मिलेगा और कट्टर संघी भी... कवि भी मिलेगा और कविता के नाम पर अत्याचार करने वाला भी...ब्राहमण को ही आप ब्राहमणवाद के खिलाफ लिखते हुए केवल यही पर देख सकते है ये आपके अन्दर की वास्तविक विचारधारा को सामने ले आता है जिससे लोगो का भरम भी दूर होता है ये वास्तव सबसे बड़ी बौद्धिक ईमानदारी का प्रतीक है.यहाँ मशहूर और गुमनाम दोनों एक साथ साध संगत करते मिल सकते है यहाँ आस्तिको का टोला है तो नास्तिको के तर्क भी है. यहाँ मोदी के भक्त है तो कांग्रेस के भी झंडाबरदार हैं...दलित विमर्श से लेकर आदिवासी विमर्श फेसबुक पर पढने को मिल जाता है..स्त्री विमर्श और स्त्री सशक्तिकरण के मंच के रूप फेसबुक की अपनी उपयोगिता है..यह सम्बन्धो का सेतू है यह जज्बातों का अभियन्ता...दो अनजान लोग अलग अलग विचारधारा के लोग इतनी उदारता के साथ और कही आपको साथ नही मिलेंगे...
बहस में एक दुसरे से उलझते हुए लोग आपको एक दुसरे के चित्रों को लाइक करते यही मिलेंगे यहाँ अनजान लोगो को भी जन्मदिन की शुभकामनायें भेजी जाती है जिससे उसका कम से कम एक दिन तो स्पेशल हो ही जाता है मै फेसबुक की उदारता का कायल हो गया हूँ.आपदकाल में फेसबुकिया भाईचारा भी किसी से छिपा नही है उत्तराखंड आपदा में इसकी उपयोगिता सिद्ध हो चुकी है.
यहाँ लोग अपनी छोटी छोटी खुशी बाँट कर सबको उसमे शामिल होने का अवसर देते है यहाँ उदासी के किस्से भी अपनेपन से सुने जाते है दिल को तस्सली दी जाती है हम बिना मिले एक दुसरे की बच्चो की शक्ल और नाम से वाकिफ हो जाते है.
और सबसे बड़ी बात फेसबुक आपको यह एहसास नहीं होने देता है की आप अपनी लड़ाई में अकेले है हमेशा कोई न कोई आपको ऑनलाइन मिल ही जाता है जब भी आपको लगे की बोरडम ने घेरा तो चैट बॉक्स की जलती हुई हरी बत्ती आपको हौसला देती नजर आती है.
फेसबुक को फेकबुक बताना इसकी तौहीन है कुछ लोग हैं खुराफाती हैं लेकिन वो तो समाज में भी है उनका ना कोई ईलाज समाज के पास है और ना ही फेसबुक के पास इसलिए उनको इग्नोर करो और आगे बढ़ो हाँ अंत में एक सलाह जरुर दूंगा कि फेसबुक को एक साधन समझना चाहिए न की साध्य.
जियो ! मार्क जुकरबर्ग कमाल की चीज़ ईजाद की है भाई....जियो ! मेरे दोस्त! मेरे दुश्मन! मेरे भाई !

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