Sunday, November 2, 2014

मन की बातें

जिस वक्त गली मुहल्ले के बच्चों के खेलते हुए देख खुशी या निर्लिप्तता की बजाए उनके जीत/हार के शोर से चिढ़ होने लगे तब समझ लेना चाहिए मन के किसी एक कोने में अवसाद ने स्थाई रूप से अपनी कुटिया बना ली है।
जब शाम को डूबते सूरज के साथ खुद का मन डूबा हुआ लगे तो समझ लेना चाहिए जरुर कुछ मन में ऐसा है जो पीछे छूट गया है।
जब सो कर उठकर मन अनमना हो किसी से बात करने का मन न हो तो समझ लेना चाहिए किसी बात पर खुद से खफ़ा हो।
जब सफर में खुशी मिलें पहाड़ कान में निमन्त्रण भेंजे नदियों किनारे बतियाने की इच्छा हो तब समझ लेना चाहिए अस्तित्व मन की जड़ता तोड़ने के जतन कर रहा है।
जब खुद से बातें करने लगो बुदबुदाकर तब समझ लेना चाहिए आपका बहुत कुछ अज्ञात ऐसा है जिसे दुनिया कभी समझ ही नही पायी।

'बातें मन औ' विज्ञान की'

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