जाता हुआ साल। कुछ टूटते कुछ जुड़ते हुए से अहसास। दिल में ज़ब्त अनकहें ज़ज्बात कुछ उदास लम्हों की जमानत उन्ही के सहारे कभी खुद से खफा तो कभी खुद मुआफ़ करने की नाकाम सी कोशिशें।
हिज्र का सर्द मौसम और तुम्हारी यादें जो ठंडी बर्फ से सच है उन्हें छूकर कभी खुद को तकलीफ देना तो कभी उन्ही के सहारे दिल से रिसते लहू को रोकना।
कुछ बिखरे हुए अहसासों पर शिकवों के पैबन्द लगाने की जुगत दिल को बहलाने का इल्म समझना जाते हुए साल की सबसे शातिर चाल है।
आह ठंडी न हो जाए वो बर्फ से ज़ज्बातों के नीचे सुलगती है तुम्हें धुंआ उठता नजर नही आएगा मगर जो तपिश रूह को मद्धम आंच पर सेंक रही है उसमें मेरा वजूद कतरा कतरा पिंघलता है।
धड़कनों को गिनते हुए और खुद की बेचैनियों को सूद की तरह सम्भालते तुम्हारी यादों की जमापूंजी मुझे अमीर बनाती जाती है। तुम्हारी नजरों में इन लम्हों की भलें ही कोई कीमत न हो मगर तुम्हारे होठों के तबस्सुम और पलकों की नमी में बाकायदा मेरा हिस्सा है।
फिलहाल आँखें मूंदे तुम्हें कुछ बहानों से याद करता हूँ एक बहाना यह गीत भी है जो मेरे दिल से गिरह की तरह बंध गया है। जितना इसको खोलता हूँ ये उतनी ही कसती जाती है। तुम्हारे वजूद में भले ही अब मेरा कोई हिस्सा नही है मगर कुछ यादों के हवालें से तुम्हें न भूल पाता हूँ और न याद रख पाता हूँ।
मेरी पलकों पर आंसूओं की ओस जमी है सर्दी के इस मौसम में इनका वजूद बेमानी है क्योंकि न मै समझा पा रहा हूँ न तुम समझ पा रही हो।
गलतफ़हमियों के इस दौर में खुद को इस हाल में देखना एक सदमा भी है और कुफ़्र भी। अपनी तमाम बुराइयों के बावजूद तुम्हारी अच्छाईयां याद करता हूँ उन्ही के सहारे मेरी तबीयत ठीक होने लगती है यादों के मनीआर्डर भेजता हूँ तुम्हारे पते पर इस उम्मीद पर कि बैरंग खतों की तरह ये मुझ तक वापिस नही आएँगे। नए साल पर इतनी उम्मीद मेरे दिल में बची हुई है।
हिज्र का सर्द मौसम और तुम्हारी यादें जो ठंडी बर्फ से सच है उन्हें छूकर कभी खुद को तकलीफ देना तो कभी उन्ही के सहारे दिल से रिसते लहू को रोकना।
कुछ बिखरे हुए अहसासों पर शिकवों के पैबन्द लगाने की जुगत दिल को बहलाने का इल्म समझना जाते हुए साल की सबसे शातिर चाल है।
आह ठंडी न हो जाए वो बर्फ से ज़ज्बातों के नीचे सुलगती है तुम्हें धुंआ उठता नजर नही आएगा मगर जो तपिश रूह को मद्धम आंच पर सेंक रही है उसमें मेरा वजूद कतरा कतरा पिंघलता है।
धड़कनों को गिनते हुए और खुद की बेचैनियों को सूद की तरह सम्भालते तुम्हारी यादों की जमापूंजी मुझे अमीर बनाती जाती है। तुम्हारी नजरों में इन लम्हों की भलें ही कोई कीमत न हो मगर तुम्हारे होठों के तबस्सुम और पलकों की नमी में बाकायदा मेरा हिस्सा है।
फिलहाल आँखें मूंदे तुम्हें कुछ बहानों से याद करता हूँ एक बहाना यह गीत भी है जो मेरे दिल से गिरह की तरह बंध गया है। जितना इसको खोलता हूँ ये उतनी ही कसती जाती है। तुम्हारे वजूद में भले ही अब मेरा कोई हिस्सा नही है मगर कुछ यादों के हवालें से तुम्हें न भूल पाता हूँ और न याद रख पाता हूँ।
मेरी पलकों पर आंसूओं की ओस जमी है सर्दी के इस मौसम में इनका वजूद बेमानी है क्योंकि न मै समझा पा रहा हूँ न तुम समझ पा रही हो।
गलतफ़हमियों के इस दौर में खुद को इस हाल में देखना एक सदमा भी है और कुफ़्र भी। अपनी तमाम बुराइयों के बावजूद तुम्हारी अच्छाईयां याद करता हूँ उन्ही के सहारे मेरी तबीयत ठीक होने लगती है यादों के मनीआर्डर भेजता हूँ तुम्हारे पते पर इस उम्मीद पर कि बैरंग खतों की तरह ये मुझ तक वापिस नही आएँगे। नए साल पर इतनी उम्मीद मेरे दिल में बची हुई है।
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