डायरी के पन्ने नही थी ये न्यूज़ फीड
टाइमलाईन पर कोई सहारा न मिला
मुद्दत बाद दोस्त तो जरूर मिलें यहां
दोस्ती का वो पुराना नजारा न मिला
ग्रीन लाइट जलती हो रात दिन पाबन्द
दूसरा यहां हम सा कोई आवारा न मिला
इनबॉक्स के दिन जवानी के जैसे मिले
जो बीत गया वो लहज़ा दोबारा न मिला
किन रिश्तों दोस्ती की बात करते हो मियाँ
फेसबुक पर डूबकर कभी किनारा न मिला
© डॉ. अजित
टाइमलाईन पर कोई सहारा न मिला
मुद्दत बाद दोस्त तो जरूर मिलें यहां
दोस्ती का वो पुराना नजारा न मिला
ग्रीन लाइट जलती हो रात दिन पाबन्द
दूसरा यहां हम सा कोई आवारा न मिला
इनबॉक्स के दिन जवानी के जैसे मिले
जो बीत गया वो लहज़ा दोबारा न मिला
किन रिश्तों दोस्ती की बात करते हो मियाँ
फेसबुक पर डूबकर कभी किनारा न मिला
© डॉ. अजित
No comments:
Post a Comment