Wednesday, January 13, 2016

हंसी

सुबह कुछ तरह से हुई जैसे समन्दर किनारे सीप को कतार से सूरज की सलामी के लिए सजा दिया गया हो।
उदासी के घने जंगल में धूप पत्तियों की सीढ़ियां से उतर कर धरती की मांग को सीधा करने चली आई।
तुम हंसी तो उजाला गया मन्दिर में शंख के नाद सी दिव्य थी तुम्हारी हंसी जिसे मन के गर्भ ग्रह में प्राण प्रतिष्टित कर दिया गया है।
लबों का व्यास मुस्कान की गोद में चैन से सो रहा है और तुम्हारें दो डिम्पल नही है दरअसल वो नदी के दो किनारें है जो तुम्हारी हंसी के पुल पर उम्मीद से एकदुसरे को देख रहे हैं।
तुम्हारी हंसी में लेशमात्र भी कृत्रिमता नही है ये ठीक उतनी नैसर्गिक और पवित्र है जितनी किसी देवालय की घण्टी होती है।
तुम हंसी तो पछियों के बच्चें भूखे रहे गए उनकी माएं तुम्हें देख अपने अपने भूले हुए गीत याद करने लगी इसी हंसी को देख नदी का वेग कम हो गया है वो किनारों के कॉलर ठीक करती है और आगे बढ़ जाती है। किनारें तुम्हें दुआ दे रहे हैं तो झरनें अपने नेपथ्य में अंखड रुद्राभिषेक कर रहें है एक तुम्हारी अखण्ड हंसी के बदले कुछ उपेक्षित मूर्तियों पर जलधार पड़ने लगी है।
तुम्हारी गर्दन शास्त्र की दृष्टि से किसी बड़ी मीमांसा से कम नही है तुम्हारी चैतन्यता का पुल है जहां से तुम दिल और दिमाग को एकसाथ देख सकती हो। सृष्टि के निमित्त ये सदी का सबसे पुराना वृक्ष है जिस पर बाहर एक भी वलय का निशान नही है।
तुम्हारी दो आँखें  पहाड़ के एकांत के दूत है ये उनका सन्देशा समन्दर तक पहुँचाती है इनके जरिए ही समन्दर नदी की दूरी का अनुमान लगा अपनी प्रतिक्षा को स्थगित करता रहता है। इन पलकों के जरिए धूप अपना दुपट्टा सुखाती है और आंसू देवताओं से मिलने की यात्रा की रुपरेखा तय करतें है।
तुम्हारे माथे पर कुछ आधे अधूरे पते दर्ज़ है जिन्हें पढ़ने के लिए आसमान रोज़ चश्मा लगता है वो किसी बहाने इसे छूना चाहता है जिसके लिए न जाने कितनी बार बेमौसमी बारिश की गई मगर तुम न मिली इस बात पर आसमान आजतलक बादलों से नाराज़ है बादल  बूंदों से हवा से दोस्ती करने के लिए कहते है तुम्हारा भाग्य आजकल उनका इष्ट देव हो गया है वो जिसे रोज़ जपतें हैं।
तुम हँसती हो तो कहीँ धूप खिल जाती है कहीं बारिश हो जाती है बहुत कुछ दुनिया में इसी हंसी के जरिए घटित हो रहा है। कुछ लोग खुश रहें इसे देखकर तो कुछ अपने अतीत को याद करके उदास भी हो जातें हैं।

बहरहाल,
कुल मिलकार बात यही है यूं ही हंसती रहा करो।

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