Thursday, February 19, 2015

पर्स पुराण

अमूमन पर्स शब्द महिलाओं से जुड़ा शब्द है। पुरुषों में हम देहातीजन इसे बटुआ कहते है और अभिजात्य वर्ग के लोगो को वैलेट भी कहते सुना है। बहरहाल, मुझे खुद के बटुए को पर्स कहने की ही आदत है और कहने की नही अपने स्कूल के दिनों से ही पर्स रखने की आदत है। पर्स दरअसल एक किस्म की आश्वस्ति का प्रतीक भी है कि आपके पास मुद्राराक्षक को कैद करने का एक चमड़े का लिफाफा है। मेरे पर्स में सिक्कों को रखने की एक छोटी सी जगह है उसमें वैष्णों देवी से प्रसाद के साथ मिला एक मूर्ति वाला छोटा सिक्का है जिसे इस उम्मीद पर रखा गया है कि बुरी से बुरी हालत में भी वो अपनी तरफ कम से कम सिक्को को तो खींचता ही रहेगा और इस टोटके में इतनी सच्चाई है भी मेरा पर्स भले ही नोटविहीन हो गया हूँ लेकिन कभी सिक्काविहीन नही हुआ है। पिछले दो साल से मेरे पास एक ही पर्स है मेरे वजन के दबाव में उसके प्योर लेदर की बाह्य त्वचा बदरंग हो गई है। धन के मामलें में मेरे झूठ सच के वाग विलास का जितना बड़ा साक्षी मेरा फोन रहा है ठीक उतना ही बड़ा मेरे अच्छे बुरे दिनों का साथी यह मेरा पर्स भी है। कभी कभी सोचता हूँ तो पर्स एक नश्वर काया लगने लगती है जो मेरे साथ जीती है और जब उसकी आयु पूर्ण होती है अपने हिस्से की जमापूंजी आगे हस्तांतरित कर देह से मुक्ति पा लेती है। इसलिए पर्स की देह बदलती है आत्मा नही। मेरे दो एटीएम कार्ड और एक एक्सपायर्ड आई डी कार्ड इस पर्स की स्थाई धरोहर है। एक मेरा अतीत बताता है और दूसरें में मेरा भविष्य छिपा है। पर्स की अलग अलग जेब में कुछ न कुछ मैंने भरा हुआ है हर छटे छमाही जब मै कुछ अनमना होता हूँ और पर्स भारी लगने लगता है तब मैं इसकी सफाई करता हूँ। वैसे तो अपरिग्रही हूँ मगर तब पता लगता है कि क्या क्या चीजें मै बेवजह ढोता रहता हूँ अक्सर मुझे एटीएम के मिनी स्टेटमेंट, किरयाने का बिल, बच्चों के फीस की रसीद और अलग अलग जगह पैसे जमा करने की रसीदें पर्स में पड़ी मिलती है मतलब धन देकर भी धन की असुरक्षा से मुक्ति का कोई रास्ता नही मिलता है।
कुछ अनजान लोगो के विजिटिंग कार्ड भी लगभग साल भर तक मेरे पर्स में यूं ही बेवजह यात्रा करते है न मै उन्हें देख कभी उनसे बात करता हूँ न कहीं किसी से मिलनें जाता हूँ एक दिन उनको फाड़कर कूड़ा जरूर बना देता हूँ।
जितना बड़ा मेरे पर्स का पेट है उसको अपेक्षाकृत उससे कम ही मुद्रा के ग्रहण करने का अभ्यास है इसलिए अब वो मेरी तरह संतोषी हो गया है। इस उम्र में पर्स को डिमांडिंग होना चाहिए जबकि वो एकदम विरक्त भाव से मेरी जेब में पड़ा रहना चाहता है शायद उसे भी मेरी आदत हो गई है। आज जब मैंने अपने पर्स की पड़ताल की तो उसमें रसीदी टिकिट टेलर का कपड़े की कत्तर लगा एक बिल, एक अखबार के क्लासीफाइड की कतरन और मेरे और बच्चों के कुछ फोटो भी मिलें पर्स की एक जेब में एचडीएफसी बैंक में जमा की गई ईएमआई की 9 स्लिप भी मिली जबकि ये कर्जा कब का उतर गया मै अब भी प्रमाण लिए घूम रहा था मैंने उनके उतने टुकड़े किए जितने कर सकता था और यकीनन ऐसा करना मुझे सुखप्रद लगा।
ऐसा कई दफा हुआ मेरे साथ यह पर्स बारिश में भीगा मगर इसनें अपनी वफादारी की हद तक मेरी जमापूंजी की रक्षा की इसी वजह से इसकी अंदर से चर्म काया अब काली और बदरंग हो गई है मगर मुझे यह खूबसूरत दिखती है इससे वफ़ादारी की खुशबू आती है। मेरा पर्स मेरी आर्थिकी का सच्चा गवाह है और सबसे बड़ी बात साक्षी भाव में रहता है कभी किसी से कोई चुगली नही करता है ना शिकायत करता है। हाँ जब मैं इसको एक पखवाड़े तक खोलता नही हूँ और ऐसे ही बेतरतीब अलमारी में पटक देता हूँ तब इसे जरूर हीनता का बोध होता है इस निर्जीव की प्रार्थना की शक्ति से मुझे शायद धन मिलता है और मै उसे पर्स को सौंप कर फिर इसे जेब में डाल लेता हूँ।
इस पर्स को मेरी दिलदारी पर फख्र है तो मेरे अनियोजन से ये चिंतातुर भी रहता है ऐसा कभी कभी मुझे महसूस होता है ये कभी कभी जीरो बैलेंस के एटीएम को दुत्कारता होगा कि कमबख़्तो क्यों बोझ बढ़ा रहे हो मेरा जब तुम अयोजविहीन हो गए हो ! वो बेचारे मेरी काहिली का किस्सा सुनाकर पर्स में आश्रय पातें है इसका मुझे बोध है।
बहरहाल आज पर्स का अनावश्यक बोझ हलका किया तो इसी बहाने पर्स से बातचीत भी हो गई अब इसमें एक गांधी जी का चित्र कुछ सिक्के, जिन दवाईयों से मुझे एलर्जी है उनकी लिस्ट,कुछ शेर, इमरजेंसी कांटेक्ट की डिटेल्स और एक लिस्ट उन मित्रों की जिनसे मैंने उधार लिया हुआ है धनराशि के उल्लेख के साथ रख छोड़ी है ताकि सनद रहे और वक्त बेवक्त पर काम आ सके।

'मै और मेरा पर्स'

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