Monday, August 21, 2017

बोध

दृश्य एक:
नार्वे की एक सुबह है  धूप थोड़ी तेज निकली है.
मैं एक तिराहे पर खड़ा हूँ अचानक अंगड़ाई आई और मुझे तोड़कर चली गई. शरीर की झंझनाहट के बीच मेरी नजर सामने की एक खिड़की पर गई. वहां एक लड़की मुंह बाहर निकाल कर जोर जोर से एक गाना गा रही है. मुझे उसकी भाषा नही आती है मगर वो जब एक अंतरे के बाद हंसती है तो मुझे न जाने क्यों ऐसा लगने लगता है कि उसकी भाषा मुझे आती है. मैं थोड़ी देर मन ही मन उससे उस भाषा में बात करता हूँ फिर उसे लगता है कि मैं उसे गाना गाते हुए देख रहा हूँ  बावजूद इसके वो खुद के गाने पर इस कदर मुग्ध है उसे मेरे इस तरह देखे जाने से कोई असुविधा नही है थोड़ी देर बाद वो गाना बंद कर देती है मगर खिड़की खुली हुई है. मैं खुली खिड़की के अंदर यही से दाखिल होना चाहता हूँ ये गाने के बाद का एक सतही मानसिक कौतूहल भर है,मगर फिर मुझे उस लडकी का गाना याद आता है और यह महसूस करता हूँ कि अभी दाखिल होने के लिए मेरा कद छोटा है फिर मैं दौड़ना शुरू करता हूँ और थोड़ा थककर उस कैफे में बैठ जाता हूँ जहां लोग शिष्टाचारवश मुस्कुराते हुए मिल रहे है.कैफे में नेपथ्य में बचता धीमा संगीत भले ही वेस्टर्न है मगर मुझे उसमें फोक की खुशबू आ रही है.

दृश्य दो:
घास का मैदान है. धूल का नामो-निशान नही है. घास का अकेलापन हरियाली के बावजूद थोड़ा गहरा है. एक युवा दम्पत्ति अपने बच्चे के साथ अभी यहाँ आई है. बच्चा अभी चलना सीख रहा है उसके कदमों में लड़खडाहट है  फिलहाल घास के लिए यह एकमात्र हंसने की वजह है. अब वो बिना हवा के इन्तजार के हंस सकता है.
बच्चा अकेला एक अलग दिशा में जाना चाहता है मगर उसे करने के लिए शायद ईश्वर प्रेरित कर रहा है. फिलहाल ईश्वर के इस इच्छा में मां की चिंता बड़ी बाधा है. मां नही चाहती है कि बच्चा उसकी नजर से दूर रहे.
 बच्चा घास पर खेलता है तो घास को ऐसा लगता है कि जैसे उसका कोई बचपन का दोस्त मिल गया हो वो उसे अपने कंधे पर बैठाना चाहता है. बच्चा जब चलते हुए गिरता है तो घास उसके घुटने में गुदगुदी करता है इसके बाद बच्चा जोर से हंसता है बच्चे के माँ-बाप इस बात से यह अंदाजा लगाते है बच्चा यहाँ आकर खुश है.

दृश्य तीन:
पीटर एक बार में वेटर है. रोज़ शाम को बार की रंगीन दुनिया से उसे गुजरना होता है. ड्यूटी के दौरान उसने महसूस किया कि जो लोग अकेले शराब पीते है वो अधिक सहृदय होते है उनके हृदय में अधिक करुणा होती है. उत्सवधर्मिता मनुष्य को एक सतह पर केन्द्रित कर देती है इसलिए समूह में व्यक्ति हिंसक भी हो सकता है. विल्सन टेनिस उसका प्रिय ग्राहक है जबकि उसने उसको आज तक सबसे कम टिप दी है. वो एक अधेड़ है मगर उसके आने पर पीटर को अच्छा लगता है जब-जब लम्बे अंतराल के बाद टेनिस बार में आता है पीटर उससे एक बात जरुर कहता है आपको यहाँ कम जरुर चाहिए मगर इतना कम भी नही.
पीटर को टेनिस की पसंदीदा ड्रिंक का पता है वो उसके कदमों की गति से यह अनुमान लगा लेता है कि आज कौन सी ड्रिंक सर्व करनी है. टेनिस इस बात से खुश कम चिंतित अधिक होता है. आज टेनिस ने कम पी मगर देर तक बैठा रहा जाते वक्त उसने पीटर से कहा ‘ यू नो ! दुनिया में सबसे खराब चीज पता है क्या है? जब आपको कहीं जाते वक्त यह लगने लगे कि अब मुझे यहाँ जरुर जाना चाहिए’
पीटर इस बात पर केवल मुस्कुराता है और कहता है ‘ मेरे ख्याल से सबसे खराब चीज वह है जब हमें यह पता चल जाता है कि हमारे लिए क्या खराब है और क्या अच्छा !


© डॉ.अजित  

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