Monday, August 28, 2017

#सुनो_ मनोरमा-5

आज सुबह से बारिश है. सुबह की बारिश में जब आँख खुलती है तो मेरी स्मृतियाँ मेरा थोड़ा साथ छोड़ना शुरू कर देती है फिर मैं खुद एकत्रित करता हूँ और कुछ करवटों के सहारे फिर से याद करने की कोशिश करता हूँ. मैं थोड़ा बदल गया हूँ पहले मैं बारिशों को कुछ इस तरह से याद रखता था कि हर बारिश के साथ मेरे पास एक किस्सा हुआ करता था अब मेरे पास केवल बारिश है. कई बार मेरा दिल तुमसे जुड़ी मेरी कुछ नाराजगियों को जोडकर देखना शुरू कर देता है मगर फिर भी मैं किसी निष्कर्ष पर नही पहुंच पाता हूँ, इसलिए मुझे तुमसे कोई शिकायत नही है. मैं इतना जरुर करता हूँ कि बारिश में अपनी कुछ शिकायतों की कागज़ की तरह तह बनाता हूँ उसे एक नाव की शक्ल दे देता हूँ उसके बाद मन के पतनाले के ठीक नीचे उसे अकेला छोड़ देता हूँ वो थोड़ी देर डोलती है फिर धीरे-धीरे बहती हुई दृश्य से ओझल हो जाती है.
मैं थोड़ी देर से आँख बंद करके पड़ा हुआ हूँ बारिश मेरे कान में आकर कुछ कहती है मगर मेरी आँख बंद है इसलिए मेरे कान की दिलचस्पी बारिश में बढ़ गयी है. बारिश मेरे कान पर पर सूखते हुए तुम्हारे स्पर्श देखती है मगर वो उनके लिए खुद एक छाता तान देती है बारिश तक नही चाहती कि नमी या तरलता के किसी आवेग में वो स्पर्श बह जाए मेरा कान यह देखकर थोड़ी हैरत में मगर मेरा नाक बारिश की इस कृपा के पीछे के कारण को ठीक से समझता है. आँख बंद करके जब मैं यह सब देख रहा हूँ फिर ऐसे में  बारिश को देखने के लिए मेरे पास न वक्त बचता है और मैं बहुत उत्साहित ही महसूस करता हूँ. हालांकि यह बात बारिश को खराब लगती है.
कल शाम मैं जब लौट रहा था मुझे रास्ते में एक आदमी मिला देखने में मुझे वो कोई यात्री लगा क्योंकि उसके पास सवाल बहुत थे. उसके सवालों की तुलना में मेरे पास जवाब कम थे मगर मैंने उसके सामने ऐसा प्रतीत नही होने दिया और उसके सवालों के बदलें उससे सवाल करने लगा. यह भी जवाबों से बचने का एक तरीका है जो मैंने कभी तुमसे सीखा था कल इस तरह से मैंने तुम्हें याद भी किया. मैं अपने मन की इस चालाकी पर बहुत मुग्ध तो नही था क्योंकि इसके कारण यात्री थोड़ा भ्रमित हो गया था. किसी यात्री को भ्रम में डालने की दुविधा से मैं काफी देर तक परेशान भी रहा हालांकि मैं उसको जाते वक्त यह कहा कि मेरी बात को अंतिम सत्य मत मानना मेरे पास केवल अनुमान है इसलिए जब भी कोई निर्णय करना तो अपने विवेक का जरुर प्रयोग करना.
जाते-जाते उसनें मुझे एक बात पूछी कि क्या कल बारिश होने की संभावना है? मैंने कहा बारिश के बारें में मेरे अनुमान प्राय: गलत साबित होती है इसलिए कुछ पक्का नही कह सकता हूँ मगर इतना जरुर है जिस दिन रात को आसमान को अच्छी नींद आती है उस दिन सुबह बारिश जरुर होती है वो मेरी इस काव्यात्मक बात पर हंसा मगर अच्छी बात है उसके फिर कोई सवाल नही किया.
शायद रात भर आसमान सोता रहा और बादलों ने अपने षड्यंत्रों से बूंदों को धरती के पास भेजने के लिए राजी कर लिया इसलिए सुबह से लगातार बारिश हो रही है. रह-रह कर बादल भी गरज रहे है मगर मैं इसे बादलों की गुस्ताखी समझता हूँ जब बूंदे धरती पर फिर बिखर रही होती है बादलों को आदर से उनको देखना चाहिए बादलों का शोर बूंदों के उत्सव में एक अवांछित बाधा है. बादल मुझे कम पसंद करते है इसलिए इस बार उन्होंने मेरी डाक जान बूझकर गुम कर दी है. जब बारिश एक पास तुम्हारी चिट्ठियाँ ही नही है तो मैं जागकर भी क्या करूंगा.
फिलहाल सोने जा रहा हूँ फिर से जानता हूँ सुबह की बारिश को यह बात अच्छी लगेगी मगर तुम्हें अच्छी नही लगेगी. आजकल मैं वही सब कर रहा हूँ जो तुम्हें अच्छा नही लगता है. न जाने क्यों?


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