Friday, June 13, 2014

चिंता

मिहिर (छोटा बेटा) गली में छतरी लिए एक शख्स को देखकर कहता है देखो पापा जी अंकल छाता लेकर जा रहे है तभी उसके पास बैठा उसका बड़ा भाई ( ताऊ जी का बेटा) पार्थ उसको टोकता है कि पागल अम्ब्रेला बोल छाता तो बाई ( काम करने वाली) के बच्चे बोलते है !
मै बच्चे का तर्क सुनकर स्तब्ध था फिर मैंने उसको बहुत समझाने की कोशिस की हिन्दी हमारी मातृभाषा है हमारी अपनी ज़बान है मगर वो न हिन्दी को सही मानने पर राज़ी हुआ और न उसे मातृभाषा जैसी कोई कांसेप्ट समझ में आई उसके लिए हिन्दी के शब्दों का बोलचाल में अधिक प्रयोग करना ठीक नही है यह भाषा बाई के बच्चों की भाषा है।
यह किस अंग्रेजदां सिस्टम का दबाव है जो चार साल के बच्चे को भाषा के आधार पर वर्ग भेद करने की ट्रेनिंग दे रहा है? मैंने जब पार्थ से यह पूछा कि उसको किसने सिखाया कहने लगा स्कूल के सभी बच्चें ऐसा ही कहते है उनकी मम्मी भी उनको यही कहती है हिन्दी में बात करना अच्छी बात नही है।
बात बाल मन की है और छोटी सी है मगर यह देश की विद्यालयी शिक्षा पर बड़ा सवाल खडा करती है हमने अपनी पीढी में जाति और धर्म का भेदभाव भोगा है नई पीढ़ी भेद का एक नया पैमाना लेकर बड़ी हो रही है भाषा के आधार पर वर्ग भेद का पैमाना माने इस हिन्दी भाषी देश में अब हिन्दी गरीबों की भाषा है अब यह मध्यम वर्ग से भी नीचे समाज के हाशिए पर जीने वाले लोगो की भाषा है और अंग्रेजी नवधनाढ्य मध्यमवर्ग से कुलीन वर्ग में शिफ्ट होने की फिराक में रहने वाले बैचेन लोगो की भाषा बन गई है।
दरअसल भाषा एक संस्कार की तरह होती है हिन्दी का ऐसे ही नियोजित तिरस्कार होता रहा तो अगला संकट बोली के संरक्षण का आने वाला है अंग्रेजी नाम की यह सुरसा भाषा बोली को निगलने के लिए तैयार बैठी है। इसमें कोई आश्चर्य न होगा यदि कल हमारे ही बच्चें हमसे हमारी भाषा/बोली का अनुवाद अंग्रेजी में पूछा करेंगे फिर हमारी योग्यता में बोली के अंग्रेजी अनुवादक की भूमिका और जुड़ जाएगी।
गाँव में मौसम, हाईजीन, स्वास्थ्य की तमाम दिक्कतों के बावजूद मै साल में डेढ़ महीने बच्चों को गाँव में इसलिए रखता हूँ ताकि उनके शहरीकरण और अंग्रेजीकरण की प्रक्रिया में ग्राम्य जीवन भाषा बोली रहन सहन के संस्कार बचे रहें।
एक साधन और स्किल के रूप में अंग्रेजी भाषा की उपयोगिता को खारिज़ नही कर रहा हूँ मगर क्या अंग्रेजी का उत्थान हिन्दी के अवनयन से ही आरम्भ होता है क्या कोई ऐसा तन्त्र नही  विकसित किया जाना चाहिए जहां भाषा केवल एक साधन हो साध्य नही?
बहरहाल, आज सुबह की इस घटना के बाद और अंग्रेजी प्रेम के अघोर संक्रमण काल में मै तो अपनी भाषा और बोली के लिए सरंक्षण और और अधिक चिंतातुर हो गया हूँ आपका पता नही।

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