Thursday, March 16, 2017

नीलामी

लंदन की मशहूर ऑक्शन गैलरी क्रिस्टीज़ में एक युवा लड़का ऑफिस में पूछ्ताछ करने के उद्देश्य से दाखिल होता है.रिसेप्शन पर पूछ्ताछ करता है. रिसेप्शन पर अटेंडेंट उसकी क्वारी को समझ नही पा रही है. लड़का कहता है वो अपने जीवन के सबसे अमूल्य सपनें नीलाम करना चाहता है क्या उनका यहाँ कोई खरीदार मिल सकता है?

सपने कैसे नीलाम किए जा सकते है अटेंडेंट यह जानना चाहती है वो लड़के से पूछती है सपने कोई वस्तु है? जो उन्हें नीलाम किया जा सके !

लड़का कहता है नीलाम करने के लिए वस्तु होना एक छोटी चीज़ है उसे ऐसा ब्रोकर चाहिए जो उसके सपने नीलाम कर सके. लड़का कहता है उसके पास ऐसे सपने जिन्हें कोई भी खरीदकर दुनिया का सबसे अमीर आदमी बन सकता है.

अटेंडेंट जानती है वह उसकी कोई मदद नही कर सकती है मगर फिर वो उस बहुमूल्य सपने के बारें में जानना चाहती है जिसे बेचकर लड़का पैसा हासिल करना चाहता है. वो पूछती है आपके सपनें की क्या कीमत है?

लड़का हंसता हुआ कहता है काश ! मैं खुद अपने सपने की कीमत जान पाता मुझे उसकी जो कीमत पता है वो उसकी असल में कीमत नही है वो दरअसल मेरी जरुरत की कीमत है. अटेंडेंट थोड़े कौतुहल से घिर जाती है और कहती है आप अपने सपने को नीलाम करके कैसा महसूस करेंगे?

लड़का कहता है सपना नीलाम करके कोई भी खुश तो नही हो सकता मगर मैं इतने भर से संतोष कर लूंगा कि किसी ने मेरे सपने की सही कीमत लगाई. बेचने वाला खुद को हमेशा एक आत्मसांत्वना देता है कि उसका न्यूनतम मूल्य अभी गिरा नही है, यही हाल मेरे सपने का है मैं इसी उम्मीद पर यहा हूँ कि मेरे सपने का मूल्य शायद यहाँ मिल जाए.

अटेंडेंट कहती है चलिए फर्ज कर लेते है मेरे पास एक पार्टी है जो आपका सपना खरीदने में दिलचस्पी रखती है तब आप अपने सपने की बोली कितने से स्टार्ट करना चाहेंगे?

लडका अब थोडा उदास हो जाता है आपने मुझे यकीन दिलाकर अच्छा नही किया मैं ये सोचकर आया था कि इंसान खुद के सपनों में इतना खोया है वो दूसरे के सपने में क्यों दिलचस्पी लेगा? यदि सपनों की नीलामी सच में हो सकती है तो फिर दुनिया भर में सपने देखने वाले लोग सबसे बड़े व्यापारी है.

माफ़ी चाहूंगा मैंने आपका कीमती वक्त लिया मैं सपने नीलाम तो करना चाहता हूँ मगर उनकी कीमत जानने के लिए मुझे कुछ सपने और देखने होंगे, तब तक यदि आपकी पार्टी रुक सके तो देखिएगा, लडका इतना कहकर वापिस मुड़ जाता है.

अटेंडेंट कहती जिस दिन ये नीलामी हुई उस दिन ये नीलामी घर की आखिरी नीलामी होगी क्योंकि सपनें जहां बिकने शुरू हो जातें है वहां दूसरी चीजें खुद मूल्यहीन हो जाती है.

लडका ये सुनकर मुस्कुराता है मगर अटेंडेंट उसका चेहरा नही देख पाती है.

‘ड्रीम्स अनलिमिटेड’

© डॉ. अजित

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