Thursday, January 19, 2017

उसने कहा था-एक

उसने कहा था
हर रिश्ता एक एक्सपायरी डेट के साथ आता है !

तब ये बात बीमारी में कोई एक्सपायरी डेट की गोली खाने के बाद की दुश्चिन्ता जैसी लगी थी। मै रिश्तें के अवसान को लेकर इतना अधिक अति संवेदनशील हो गया था कि मैंने अपनी सारी क्षमता इस कथन को खारिज़ करने में लगा दी थी।

मैंने कहा रिश्तों की आयु निर्धारित करना संभावित पलायन की भूमिका है मैंने इसे एक बौद्धिक चालाकी करार दिया साथ डरे हुए बड़प्पन के साथ यह कहा रिश्तों के एक्सपायरी जैसे मुर्दा शब्द क्यों जोड़ना जिस दिन तुम्हें लगे रास्ते बदलने है मुझे साधिकार अन्यत्र दिशा में चला जाऊँगा।

साधिकार कहने की बुद्धिमानी एक कोरा गल्प थी क्योंकि जिसको इतना अधिकार दिया जाता है क्या उसका साथ छोड़ने की हिम्मत बच पाती है? शायद नही।

रिश्तों की एक्सपायरी डेट आखिर क्या हो सकती है?और क्या ये सच में होती है या होनी चाहिए और यदि इसका अस्तित्व है तो फिर रिश्तों के जरिए हम स्वपीड़न या परपीड़न का हिस्सा क्यों बनते है।

ये कई सवाल थे जिनके जवाब मैंने तलाशने की बहुत कोशिश की मगर दवाई के पत्ते की तरह जब तक मै आख़िरी मंजिल तक पहुंचा अस्तित्व के स्तर पर मैं उघड़ चुका था। मेरे बारे में कुछ अनुमान लगाए जा सकते थे मेरा पता गुमशुदा था और लिखवाट के जरिए मेरी उपयोगिता पर कुछ सांत्वना भरी बातें कही जा सकती थी।

रिश्तें जब एक्सपायर होते है तो उनको रिसाइकिल नही किया जा सकता है ये रिश्तों की सबसे खराब बात है वो जीवन में लटके रहते है बेताल से। मुझे पहले लगता था कि रिश्तें अस्तित्व के एक बड़े नियोजन का हिस्सा है मगर इस नियोजन में जब ये एक्सपायरी वाला हिस्सा शामिल हुआ तब मुझे ये एक बेहद लौकिक और मानवीय उपक्रम लगा।

अस्तित्व रिश्तें हमे सौंपता है और हम अपनी व्यक्तिगत सीमाओं के चलते उनकी मौत का एक तयशुदा सीमांकन अवचेतन में पहले ही दिन कर देते है। इससे एक बात लगभग प्रमाणित होती है मनुष्य रिश्तें सम्भालने में कमजोर है। विचित्र बात यह कि इस कमजोरी को एक ताकत के रूप में देखने की आदत मनुष्य ने विकसित कर ली है।

चलो मान लेता हूँ कि हर रिश्ता एक एक्सपायरी डेट के साथ आता है मगर वो डेट जो भी तय करता है वो हमसे कभी मशविरा नही करता यदि करता भी है तो हम अनुरागवश उस बात को छिपाते चले जाते है।

हर रिश्ता प्रकट और अप्रकट के मध्य कुछ जोड़ तोड़ के साथ जीता है शायद यही से उस एक्सपायरी डेट का कैलेंडर निकलता है जिस पर मुक्ति की शक्ल में निर्वासन की तारीख छपी होती है।

#उसनेकहाथा

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