Sunday, January 15, 2017

इंतजार

दृश्य एक:
लैम्पपोस्ट के नजदीक एक युवा लड़की खड़ी है। वो आसमान की तरफ देखती है और कहती है इसकी क्या जरूरत है यहां।
इस बात के दो अर्थ निकाले जा सकते है क्या तो वो लैम्पपोस्ट की बात कर रही है या फिर आसमान की। आसमान की जरूरत पर वही सवाल खड़ा कर सकता है जिसके पैरो तले की ज़मीन तेजी से खिसक गई हो। लैम्पपोस्ट की जरूरत उसे नही हो सकती इस बात इस इनकार नही मगर जब उसने आसमान की तरफ देखा उसकी एक आंख आसमान पर थी और एक लैम्पपोस्ट पर।
जब मैंने उससे पूछा तुम किसकी जरूरत न होने की बात कर रही हो?
उसने कहा तुम्हारी।
मुझे लगा मैंने कोई अवांछित हस्तक्षेप किया है उससे सवाल पूछकर इसलिए मैंने दोबारा उससे बस इतना पूछा क्या सच में मेरी जरूरत आसमान या लैम्पपोस्ट जितनी नही है?
उसने कहा जरूरत में सच की शर्त या शपथ लगानी मैं गैर जरूरी समझती हूँ।
उसके बाद मैंने कोई सवाल नही किया क्योंकि अब सवाल करने का मतलब था मै जरूरत के बिंदु पर अटक गया हूँ।

दृश्य दो:
यह सेंट्रल लन्दन का रेलवे स्टेशन है। एक कपल मेरे नजदीक खड़ा है हमें एक ही ट्रेन में सवार होना है। इस तरह से हम एक नजदीकी वृत्त में हम तीनों इंतजार में है।लड़की लड़के से पूछती तुम्हें इंतजार करना कैसा लगता है?
लड़का मुस्कुराता है और कहता है जिस इंतजार में तुम्हारा आना शामिल हो उस इंतजार में ख़ुशी शामिल रहती है इसलिए वो अच्छा लगता है।
लड़की इस जवाब से प्रभावित नही दिख रही है वो कहती है ये तो बड़ी लोकप्रिय सी बात हुई। इंतजार एक साथ अच्छा या बुरा दोनों लग सकता है क्या? वो नया सवाल पूछती है।
लड़का कहता है इंतजार में अच्छे या बुरे लगने से ज्यादा मिलना महत्वपूर्ण होता है सारी अधीरता उसी की होती है।
लड़की फिर से इस जवाब से कोई ख़ास संतुष्ट नही दिख रही है इसलिए वो कहती है तुम इंतजार को टाल रहे हो इसका मतलब तुम्हें इंतजार से डर लगता है।
हम्म..! लड़का इतना कहकर चुप हो जाता है।
दोनों मेरी तरफ देखते है शायद उन्हें पता है कि मै उनकी बातें सुन रहा हूँ।
मैं कहता हूँ ट्रेन राइट टाइम नही है।
लड़की कहती है कि आपने यह क्यों नही कहा ट्रेन लेट है?
लड़का कहता है अभी उद्घोषणा हुई है शायद ट्रेन समय से आ रही है
लड़की कहती है तुम शायद न कहते जो ज्यादा ठीक लगता मुझे।
उसे मेरे जवाब की प्रतिक्षा है मैं मुस्कुराता हूँ और ट्रेन का हॉर्न सुनाई देता है।
ये संयोग इंतजार का सबसे सुखद पल था।

©डॉ.अजित

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