Sunday, June 21, 2015

मनडे रागा

किसी की स्मृतियों के स्थगन काल का हिस्सा बन जाना ब्रह्माण्ड की सर्वाधिक असुरक्षित जगह की नागरिकता के लिए आवदेन करने जैसा अनुभव था। मुद्दतों का सफर किस्तों में ख़तम हुआ मंजिल ने करवट बदली तो रास्तों ने पहचानने से इनकार कर दिया। एक सुबह आप जागतें तो पातें है कल रात सोने से पहलें आप जिस टापू पर अकेले नंगे पाँव टहल रहें थे उसको तो वक्त का समन्दर नील गया है वहां से अब दुर्लभ अनुभवों के संग्राहलय के लिए कुछ दस्तावेज़ मंगाए जा रहें हैं ताकि कम से कम उस जगह के नक्शे को संरक्षित करके रखा जा सके जहां अपनी मर्जी से आने जाने की आजादी सबको नहीं थी मगर जोखिम लेकर आप वहां के गाढ़े पानी में खुद की शक्ल देख सकते थे।
दरअसल बात सिर्फ इतनी सी होती है आप मन के स्तर सतत् प्रासंगिकता बचाए रखने के लिए स्मृतियों से कुछ पल रोज़ उधार लेतें है और जिस दिन आप कर्जा माफी की उम्मीद में अपनी फटी जेब देखतें है उस दिन आपकी रोशनी का एक हिस्सा स्वत: चला जाता है फिर आप दृष्टि दोष के सहारे अनुमानों में जिंदगी जीतें है स्मृतियों का यह एक बड़ा स्याह पक्ष है।

'मनडे मॉर्निंग रागा'

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