Monday, May 11, 2015

बातें

बहुत दिनों से तुमसे कुछ बातें करना चाहता हूं। ये कोई खास बातें नही है ये बेहद मामूली बातें है मसलन तुम्हारे स्लीपर का नम्बर क्या है? क्या तुम अब भी दस्तखत के नीचें छोटी लाईन खींच कर दो बिन्दू लगाती हो?तुम दाल से कंकर बीनते समय कौन सा गाना गुनगुनाती हो? तुम्हारे पर्स में क्या अब भी छोटी इलायची मिला करती है तुमनें चश्में का नम्बर लास्ट टाईम कब चैक करवाया था हंसते हंसते अचानक से तुम्हारी आंखों मे नमी क्यों उतर आती है वगैरह वगैरह। दरअसल ये बातें भी नही है ये तो कुछ अजीब से सवाल है जिन्हें सुनकर तुम अचरज़ से भर सकती हो या फिर खिलखिला कर हंस सकती हो। जब जब मै जिन्दगी के गणित मे उलझ जाता हूं सही-गलत नैतिक-अनैतिक सच-झूठ के अनुपात का आंकलन करनें में खुद को असमर्थ पाता हूं तब तब मुझे ख्याल आता है कि तुमसे फोन करके पूछूं कि तुम कपडें धोने के बाद कैसे नील और टिनोपाल का एकदम सही अनुपात रख लेती है ऐसे और भी छोटे छोटे सूत्र है जो मैं तुमसें सिखाना चाहता हूं।
मेरे पास इतने सवाल बचे है कि जवाब देते हुए तुम्हारी सारी उम्र कट जाएगी। इन सवालों के सबसे सही जवाब केवल और केवल तुम्हारे ही पास है इसलिए मै सवाल जोडता जा रहा हूं। ये सवाल मेरे लिए एक किस्म की पूंजी है जिनको मै समय आने पर खर्च करुंगा। कुछ सवाल मैने इसलिए भी बचाकर रख लिए है जब तुम लगभग मुझे भूलने वाली होगी या फिर मेरी किसी बात से बेहद आहत होंगी ठीक उस दिन मै एक सवाल तुम्हारी तरफ उछाल दूंगा और ये मेरा आत्मविश्वास है कि चरम नाराज़गी में भी तुम मेरे सवाल पर मुस्कुराए बिना न रह सकोगी।
ऐसा नही है मेरे पास सवालों की शक्ल में केवल बचकानी बातें है या कुछ अपरिपक्व किस्म की जिज्ञासाएं है मेरे पास इन सवालों के जरिए तुमसे वक्त बेवक्त बात करनें का एक विशेषाधिकार है यह विशेषाधिकार मैने कभी तुम्हारें सवालों के जवाब देकर कभी मौन रहकर तो कभी कुछ बातों को अनसुना करके अर्जित किया है।
दरअसल प्रतिदिन की बातों शिकवों शिकायतों और चाहतों के जरिए खर्च होती जिन्दगी में मै कुछ न कुछ बचाता आया हूं मेरे कहे गए के बीच हमेशा कुछ दशमलव में अनकहा बचता रहा है। इसी अनकहें की चिल्लर मेरी जेब में खुशी के साथ खनकती रहती है जब भी लगता है कि तुम्हें खोने वाला हूं मै एक ऐसी ही अनकही बात का सिक्का निकाल कर उसे टॉस के लिए हवा में उछाल देता हूं जिन्दगी की तमाम हार के बावजूद आज तक मै यह टॉस कभी नही हारा इसलिए कम से कम तुम्हारे बारें में कभी हारनें की नही सोचता हूं।
चलों ! एक शाम कुछ ऐसी ही अनकही बातों से रोशन करते है हो सकता है तुम्हारे पास भी कुछ ऐसे बेहद मामूली किस्म के सवाल हो मेरे जवाब तुम्हें संतुष्ट भले ही न कर पाएं मगर तुम उन्हें सुनकर खुशी जरुर महसूस करोगी मुझे ऐसा लगता है। मेरे सवालों का आदतन कोई निहितार्थ मत निकालनें लगना बस मै इतना ही निवेदन करना चाहता हूं क्योंकि मेरा कोई सवाल तुम्हारे विश्लेषण की उपज नही है तुम्हें आज तक मैनें बुद्धि और विश्लेषण के नजदीक नही जानें दिया है तुम्हारे लिए दिल और दिमाग के मध्य एक निर्जन टापू पर एक जगह सुरक्षित की है मैनें तुमसे बतियाने के लिए।उससे बढिया जगह मेरे अस्तित्व में नही है वहां अनुभूतियों घना जंगल है प्रेम के छोटे तटबंध वाली मीठी नदी है अपनत्व का झरना है और अपेक्षाओं से रहित एक खुला आसमान है मै चाहता हूं हम जब भी मिलें उसी जगह पर मिलें वो जगह ग्रह नक्षत्रों के सौभाग्य या दुर्भाग्य के प्रभाव से मुक्त है इसलिए भी वहां तुम्हें देखकर मै एक गहरी आश्वस्ति से भरा हुआ रह सकता हूं।
ये सब बातें केवल सवाल की शक्ल में नही है मेरे पास तुम्हारी कुछ बातों के जवाब भी है जवाब क्या मेरे पास कुछ कथन है कुछ कुछ उक्ति के जैसे जिन्हें तुम्हें सौप कर मै सन्दर्भ की कन्द्रा में सुरक्षित आराम करना चाहता हूं। मुझे उम्मीद है एकदिन हम अपनी अपनी बातें अपने अपने सवाल और कुछ थोडे से जवाब लेकर जरुर उस एकांत के टीले पर मिलेंगे इसी उम्मीद के सहारें मै अक्सर तुम से बतकही करता रहता हूं मै जितना लिखता बोलता हूं तुम्हारें बारें में वह उसका दशमांश भी नही है जितना सोचता और जीता आया हूं तुम और तुम्हारी बातों को। तुम्हें यह सब जानकर ठीक उतना आश्चर्य हो रहा होगा जितना एक जीबी के डेटा रिचार्ज़ में दो जीबी डाटा मिलनें पर हुआ था तुम यह सोच सकती हो कि मै इतना बोलने वाला लगता तो नही हूं मगर जिन्दगी अक्सर न लगने के सहारे ही आगे बढती है हमें जो जैसा लगता है वो वैसा होता है कब है। ये भी एक अधूरी बात है इसे मिलनें पर पूरी करुंगा हो सके तो मेरा इंतजार करना।

‘बातें-मुलाकातें

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