Monday, April 20, 2015

टेलर मास्टर

टेलर की दुकान पर पड़ी कत्तरें कितनी ही रंगीन क्यों न हो कतर ब्योंत उनके रंग को भी खा जाती है। अलग अलग आकार में कटी पड़ी कत्तरें अपने रंग को भूल सफेद रंग से थोड़ी शान्ति उधार मांगती है इस सफेद कत्तर अपना एक कोना चुपचाप हिला देती है। इन्चिंग टेप से मास्टर जी लोगो के कद औ हद नाप रहे है लोग सीना फुलाने के चक्कर में पेट अंदर नही करते है क्योंकि यहाँ का झूठ साल भर भारी पड़ सकता है उनके आग्रह बेस्ट फिटिंग की है और टेलर मास्टर किसी व्यस्त डॉ की तरह उनका आधा मर्ज़ ही सुनकर अपनी बिल बुक में संकेताक्षरों में उनकी पैमाइश दर्ज करता जाता है। मास्टर जी की दुकान के डिस्प्ले बोर्ड कुछ बूढ़े कोट लाइन से टंगे है उन्हें हैंगर पर टांग दिया गया है वो गर्व से भरे पुरुषों के कंधें को ढकनें की आस खो चुके है वो कोसते है मन ही मन कि क्यों उन्हें थान की विराट से निकाल कर यहां सजा दिया गया है उनकी जेब में हवा तक नही जाती वें उन पुरुषों को श्राप देतें है जिन्होंने उनको टेलर के यहां से ले जानें में महीनों या बरस भी लगा दिए है। वे एक दुसरे को सांत्वना देते है और खुद पर लगे कागज के टैग (जिस पर उस रसीद का नम्बर लिखा है जब उनके लिए नाप ली गई थी) के पीलेपन को देखकर मायूस हो जातें है। उनके सामनें गले का बटन बंद किए कुछ शर्ट भी टंगी है वो इस तरह पैबंद है जैसे अभी किसी बेहद जिम्मेदार शख्स के अभिमान को बचाने के लिए उन्हें ही आगे रहना होगा हालांकि देर से घर जानें पर उनमें भी खुसर फुसर होती रहती है। पेंट टेलर की दुकान में आश्वस्ति से टंगी है उन्हें लगता है कि अपनी नंगई छिपानें के लिए उनको मनुष्य जरूर सादर लेकर जाएगा। टेलर के गलें में पड़ा इन्चिंग टेप साक्षात् शिव के गले में पड़े नाग के समान है वो टेलर की निपुणता का प्रतीक है टेलर की कैंची अपने वजन के हिसाब से कपड़े की कई तहों को बड़ी सफाई से काटती उसकी स्वामी भक्ति असंदिग्ध है। टेबल पर पड़ा चाक टूटता है मगर निशान गहरें बनाता जाता है ताकि कारीगर उसके जरिए कटाई छंटाई करीने से कर सकें और मास्टर जी की लिहाज़ बची रहें।
मशीनों का पैडल की मदद से सुर में बचता संगीत मास्टर जी यह आश्वस्ति देता है कि काम ठीक चल रहा है। धागा और खाली रील के डब्बे उपेक्षित पड़े अपनें यौवन को याद कर सिसकतें है मगर उनकी आह कोई नही सुनता वो अपने सिएं हुए धागे को देखकर मजबूत बनें की दुआ फूंकते हुए दम तोड़ देते है।
टेलर की दुकान पर सभ्यता की दुनिया के फैशनेबल तरीकें सांस लेते है कपड़े आते है और परिधान बनकर जातें है किसी ग्राहक का कद कितना घटा या बढ़ा है इसके बारें में एक टेलर से बेहतर भला कौन बता सकता है।

टेलर मास्टर: एक संसार 

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