Friday, December 13, 2019

फुटकर_नोट्स


मैं निष्क्रियता का औचित्य सिद्ध करने का कौशल सीख गया हूँ.
कोई मुझसे  सवाल करे उससे पहले मैं उसको उसकी स्मृतियों में उलझा देता हूँ. उसके बाद उसे लगता है ऐसे वक्त में मुझसे कोई भी सवाल करना उचित नही होगा. हाँ ! वो मन ही मन मेरे लिए प्रार्थनाएं जरुर करता है. प्रार्थना वैसे एकवचन में प्रभावी लगती है मगर मेरे लिए बहु वचन में इसलिए करनी पडती है कि मैंने इस लोक और उस लोक के कई ज्ञात ईश्वरों का कई बार दिल दुखाया है. मेरे शुभ चिंतको को इस बात का भय है कि मेरे लिए की गई किसी भी प्रार्थना को वे ईश्वर अपने प्रतिशोध के कारण निस्तेज कर देंगे.
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मुझे यदि यह पूछा जाए कि मनुष्य के लिए प्रेम जरूरी है या रोटी. तो मैं इसका सीधा साधा जवाब दूंगा कि रोटी और प्रेम दोनों यदि जरूरत की तरह किसी के लिए जरूरी है फिर दोनों में चुनाव का कोई प्रश्न ही नही उठता है. प्रेम और रोटी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं ये आपके लिए संयोग की बात हो सकती है कि आपके हिस्से कौन सा पहले आता है.
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संसार में बहुत कुछ ऐसा है जिस के कारक-कारण के बारें हम कुछ कहने से पहले बार-बार सोचते हैं. और कहने के बाद भी हमें अपने कहे हुए पर हमेशा संदेह होता रहता है. कारक-कारण एक समानुपातिक रिश्ता जरूर प्रतीत होता है मगर वास्तव में देखा जाए तो कारक-कारण को तलाशना शोध का एक अंग है और दुनिया के सारे शोध मन की मान्यताओं की बाह्य पुष्टि के यांत्रिक साधन भर है इसलिए जीवन में हमेशा कुछ ऐसे सवाल बने रहते हैं हमें जिनका एक सही और एक गलत जवाब पता होता है और ये दोनों जवाब अपना घर बदलते रहते हैं.
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मुझसे यह सवाल अक्सर पूछा जाता है कि मैं किसी के मन को कैसे पढ़ लेता हूँ?  मेरे पास इस सवाल के दो जवाब होते है मगर मैं हमेशा तीसरा जवाब देता हूँ ताकि जिसका मन पढ़ा गया है उसे भविष्य में मुझसे डर या खतरा महसूस ना हो. जब कोई हमें जानने लगता है तब हमें उससे कुछ अंशों में डर लगने लगता है. मैं किसी का मन पढ़ना नही जानता हूँ. यदि मैं ऐसा करना जानता तो यकीनन सबसे पहले अपना मन पढ़ता.
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लव यूसहज स्फूर्त अक्सर निकल जाता है. यहाँ लव और यू दोनों में आपस में कोई सार्थक अंतर नही होता है. दरअसल लव यूकहने का एक अर्थ यह भी हो सकता है कि तुम्हें और अधिक प्यार की आवश्यकता है. मनुष्य प्रेम में पहले गरिमापूर्ण होता है और बाद में अराजक. यदि कोई तुम्हें लव यूकहे तो इसे अभिवादन समझ प्रतियुत्तर मत देना .क्योंकि इसका कोई प्रतियुत्तर अभी तक शब्दकोश में नही बना हैं.
#फुटकर_नोट्स

© डॉ. अजित


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