Wednesday, July 26, 2017

अपढ़ता

हेनरी के पास एक कागज का टुकडा है वो उससे एक जहाज बना सकता है मगर उसने उसकी नाव बनाने की कोशिश की. नाव को जब पानी में छोड़ा गया तो नाव डगमगा कर चल तो पड़ी मगर वो एक तरफ से झुकी हुई लग रही है. हेनरी नाव को पानी में छोड़ता है और हाथ से पानी मे तरंग उत्पन्न करने की कोशिश करता है उसे लगता है यही तरंग उसे डूबने से बचा लेगी.
नाव एक तरफ झुकी हुई है इसलिए उसमें पानी भरना शुरू हो गया है हेनरी को पहले इस बात पर थोड़ी फ़िक्र हुई मगर उसने इसे नाव की नियति मान लिया है इसलिए अब उसकी दिलचस्पी नाव को तैरते हुए देखने के बजाए उसके डूबने की जगह देखने की है. एक झुकाव रचनात्मकता को विध्वंस के मनोरंजन में रूपांतरित कर देता है.
हेनरी के चेहरे पर नाव के डूबने का कोई क्षोभ नही दिख रहा है जैसे उसे पहले से पता था कि नाव को एक समय के बाद डूबना ही है वो डूबी हुई नाव को बेहद अनमने ढंग से पानी से निकालना चाहता है मगर तभी एक तेज धारा उस डूबी नाव को आगे बहा ले जाती है इस प्रकार से अपनी खूबसूरत बुनावट के बावजूद नाव गुमनामी की दिशा में आगे बढ़ जाती है और हेनरी अपनी स्मृतियों में नाव के डोलते हुए चलने की घटना को समेटकर खुश होता है.
हेनरी के हाथ में एक और कागज़ का टुकड़ा है वो इससे एक हवाई जहाज़ बनाएगा मगर उसे पता है कि ये जहाज़ भी कुछ ही समय बाद दिशा भटक कर किसी अनजान कोने में अटक जाएगा. ये ज्ञान हेनरी का उत्साह कम नही कर पा रहा है वो बनाकर चीजों के खोये जाने वाले भविष्य को लेकर आश्वस्त है इसलिए वो किसी भी वस्तु के मोह में नही है वो उन्हें यथास्थिति में देखता है और अपने कौशल का हस्तक्षेप करके उनका स्वरूप बदलता है.
अंत में वो हर चीज़ को उसकी नियति के हवाले कर देता है. प्रथम दृष्टया यह एक खेल या कौतुहल प्रतीत होता है मगर वास्तव में यह दोनों ही नही है यह दरअसल जीवन के दार्शनिक सच का एक क्रियात्मक प्रदर्शन है जिसे हम खेल समझ सकते और अपने आसपास के यथार्थ से विलग हो सकते है.
हेनरी के पास जीवन का एक पाठ है मगर वो खुद इसे नही पढ़ पाता है मनुष्य की यही अपढ़ता उसके ज्ञात दुखों का मूल है.

© डॉ. अजित 

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