Thursday, August 25, 2016

कुछ लोग

कुछ लोग सम्भवानाओं की खोज के राजदूत थे। वो बड़ी जल्दी में भी थे। दरवाजा नॉक किया बैल बजाई जब तक विलंबित अस्तित्व उठकर आया उनका धैर्य जवाब दे गया वो आगे बढ़ गए। किसी को तलाशना उनकी जिद थी और इसके लिए छोड़ना उनके लिए कोई बड़ी बात नही थी।
फिर भी वो पूर्णतः अतीत से मुक्त नही थे सम्भावनाओं के निष्क्रिय बीज वाले वृक्ष की खोजखबर वो यदाकदा जरूर लेते रहते थे उनके पास नियमित मुस्कान थी कुछ मशविरे थे बस उनके पास शून्य और धैर्य नही था वो हड़बड़ी में थे कभी कभी अपना वक्त मिलाने वो उन पुराने घण्टा घरों की घड़ियों की तरफ विश्वास से देखते थे।
उनका विश्वास इतना अस्थाई था वो सबके मित्र थे मगर वो किसी के मित्र नही थी। उनके पास वक्रोक्ति थी सवाल थे और किसी के जैसा बनने की एक विचित्र सी अपरिभाषित चाह भी उनके साथ छाया की तरह हमेशा चिपकी हुई रहती थी वो जब भीड़ में थे तभी धूप में थे तभी वो सबसे ज्यादा अकेले थे।

'सम वेस्ट नोट्स'

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