Wednesday, April 27, 2016

शाम की चाय

बहुत दिन हो गए तुम्हारे हाथ की चाय पिए।
गर्मी आ गई है मगर चाय की तलब कम नही हुई। आखिरी बार तुमनें जब पूछा था कि चाय पियोगे या नींबू पानी मैंने उस दिन से अपने पंचांग में लिख दी थी मौसम बदलनें की तिथि। रसोई में किस्म किस्म की खुशबूऐं कैद है मगर तुम्हारे हाथ की बनी चाय की खुशबू मेरे दिल में कैद है। गैस का लाइटर तलाशतें वक्त तुम्हारे माथे पर जो बैचेनी दिखती है वो बेशकीमती है मैं इतना अस्त व्यस्त तुम्हें हर वक्त देखना चाहता हूँ जहां कुछ मनचाही चीज़ न मिलनें पर तुम अपनी स्मृतियों को दांव पर लगा देना चाहती हो ये देख मुझे ये संतोष मिलता है अगर मैं किसी दिन गुम हो भी गया तो भी तुम मुझे तलाश ही लोगी।
दूध पर ज़मी मलाई को तुम जब फूंक मारकर अलग करती तो ऐसा लगता है कोई मौलवी अला बला को दुआ की फूंक से टाल रहा हो तुम्हारी साँसों की खुशबू की पहली आमद तब ही से दूध में समा जाती है फिर  वो चाय में महकती हैं।
तुम्हारे कंगन तो गोया दो उस्ताद है जैसे कप के कानों पर ऐसी हलकी चोट करतें है कि वो चीनी मिट्टी के कप भी अपने सुर साध लाते है सब कुछ इतनी बेखबरी में होता है मैं कप को छूते हुए भी डरता हूँ कहीं उन्हें ये शिकायत न हो कि मैंने तुम्हारे स्पर्श को धूमिल कर दिया है और उनके गीत भूला दिए है।
पिछले दिनों चाय बनाते समय तुम एक गाना गुन गुना रही थी गाने के बोल मुझे याद नही मगर तुम गानें के जरिए एक गुजारिश चाय को बता रही थी तुम्हारी वही गुजारिश चाय में मुझे तब बताई जब मैं आख़िरी घूंट के बाद कप नीचे रखनें वाला था।
चाय छानते वक्त तुम्हारे हाथ आज भी थोड़े कांपते है तुम्हारी पलकों के झपकनें की आवृत्ति भी बढ़ जाती है इसका एक अर्थ यह लगाता हूँ मैं कि तुम थोड़ी अतिरिक्त सावधान हो जाती हो नही चाहती एक बूँद भी बाहर छलकें ये ठीक मुझे एक बढ़िया साकी के जैसा लगता है वो भी नही चाहता कि शराब की एक भी बूँद बर्बाद हो इसलिए तुम्हारे हाथ की चाय में एक नशा भी होता है।
किसी दिन चाय पीने आऊंगा इस बार नींबू पानी के लिए नही पूछना भले कितनी गर्मी हो क्योंकि चाय का विकल्प पूछने पर मुझे ये लगने लगता है तुम्हारी स्मृतियों में विकल्पों की घुसपैठ हो गई है जो मैं नही चाहता मैं चाहता हूँ चाय मौसम की मोहताज़ न रहें और रिश्तें किसी किस्म के औपचारिक परिचय के फिर दोनों की खुशबू और तबीयत हमेशा ताज़ा रहती है यही ताजगी और तलब मुझे तुम्हारे दर तक लाती रहेगी हमेशा ये वादा रहा।

'शाम की चाय'

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