दृश्य एक:
नीदरलैंड की एक दोपहर है मगर ये दोपहर शाम और
सुबह के मध्य टंगी दोपहर नही है. धूप बढ़िया खिली है मगर कितनी देर खिली रहेगी इस
बात का कुछ पता नही है. पार्क में एक बच्चा खेल रहा है और उसे दो महिलाएं देख रही
है इस घटना में कोई नूतनता नही है मगर दोनों बच्चें को खेलता देखकर खुश है. यह
बच्चा इन दोनों महिलाओं में से किसी का नही है. एक प्रेमी युगल एक दुसरे का हाथ
थामे चल रहा है. अचानक से लड़की ने लडके का माथा चूमते हुए कहा तुम सूरज की तरह
हमेशा मुझे रौशनी देते रहना.लड़का खुद को सूरज नही चाँद समझता है इसलिए वो एक फीकी
मुस्कान से हंसता है इस बात पर लड़की हैरान नही है मानो उसे खुद के कथन की असत्यता
को पहले से बोध था.
दृश्य दो:
स्ट्रीट फ़ूड की एक छोटी सी दूकान है जिसे एक
बुजुर्ग महिला चलाती है. दो लड़कियां वहां आती है और उससे पूछती है कि आप कितना कमा
लेती है इससे? बुजुर्ग महिला हंसते हुए कहती है बस उतना जितने में मुझसे हंसते हुए
सोचना न पड़े. इस जवाब को समझने के लिए अभी दोनों लड़कियों की उम्र कम है इसलिए वो
पास्ता ऑर्डर करके स्टूल पर बैठ जाती है. पास्ता खाते हुए दोनों बातें कर रही है.
एक लड़की कहती है कि दुनिया में मनमुताबिक मिलना आसान काम नही होता है दुसरी इस पर
जवाब देती है कि बेहद आसान होता है बस हमें पता होना चाहिए कि असल में हमें चाहिए
क्या? ये बात बुजुर्ग फ़ूड वेंडर भी सुन रही है वो कहती है क्या तुम्हें फिलहाल
पास्ता ही चाहिए था? दोनों इस बात पर हंस पड़ती है और कहती है शायद नही.
दृश्य तीन:
क्रिस्टीन को प्यास लगी है उसके पास पानी है .
वो एक कैफे में दाखिल होती है और एक पानी की बोतल खरीदती है. पानी को पीने से पहले
वो एक बीयर केन लेती है और बाहर निकल जाती है. प्यास अभी भी लगी है मगर उसके पास
बीयर और पानी दो तरल पदार्थ है. वो पहले एक बीयर केन पीती है अब उसे पानी कि प्यास
नही बची है मगर बोतल वो साथ लिए घूम रही है. वो सोचती है कि जीवन में विकल्प हमेशा
हमें हमारी पहली ख्वाहिश से दूर कर देता है. उसका मूल्य कम हो जाता है वो हमारे
साथ होकर भी किसी काम का नही रहता है. क्रिस्टीन पानी की बोतल से मुक्ति चाहती है
मगर उसमें उसका निवेश शामिल है इसलिए फिलहाल उसे साथ लिए घूम रही है . क्रिस्टीन
को अपनी उस प्यास पर संदेह होता है जो पानी की बजाए बीयर से बुझ गई मगर फिलहाल उसे
अच्छा लग रहा है इसलिए पानी कि बोतल कोई बोझ नही है. जब मनुष्य को अच्छा लगता है
तब वह हर किस्म के बोझ को भूल जाता है यह सोचकर वो एक घूँट पानी पीती है वो भी
बिना प्यास लगे ही.
© डॉ.अजित
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