दृश्य एक:
समन्दर में क्रूज़ पर शाम हो गई है. डॉक पर एक किशोर अकेला बैठा है. वो आसमान
की तरफ देखता है मगर कोई पक्षी नजर नही आता है. ये उसकी उम्मीद की पहली हत्या है.
वो आसमान और समन्दर के रंग का मिलान करता है उसे समन्दर काला दिखाई देता है और
आसमान नीला. समंदर और आसमान के मध्य दूरी अधिक है इसलिए वो प्रतिबिम्ब के विज्ञान
को अस्वीकार कर देता है.
एक बुजुर्ग वहां आते है जिनके हाथ में एक बीयर की कैन है. दोनों एक दूसरे को
देखकर मुस्कुराते है बुजुर्ग की मुस्कान किशोर से कई गुना लाइव है. बुजुर्ग किशोर
से पूछता है समंदर में अकेले कैसा लगता है? किशोर जवाब देता है ठीक ऐसा कि जैसे कि
मैं समंदर का छोटा भाई हूँ.
किशोर बुजुर्ग के नजदीक जाकर कहता है जीवन में क्या चीज हमेशा प्यारी रहती है?
बुजुर्ग कहता है आदमी को अतीत हमेशा प्यारा लगता है. किशोर फिर एक प्रतिप्रश्न
करता है जिनका अतीत गौरवशाली न रहा हो वो कैसे अपने अतीत को प्यार समझ सकते है?
बुजुर्ग इस परिपक्व सवाल पर थोड़ी देर ठहर कर सोचते है और कहते है जिनका अतीत गौरवशाली
नही रहा हो और वो वर्तमान और भविष्य की कल्पना पर अतीत को खारिज करके अतीत को याद
करते है. अतीत जीवन में कभी अप्रासंगिक नही होता है. किशोर इस जवाब से संतुष्ट है
फिर दोनों एक दूसरे की तरफ पीठ कर लेते है इस तरह से अतीत और भविष्य एक दूसरे से
दूरी बनाते है.
दृश्य दो:
ये समंदर की सुबह है. एक नव विवाहित जोड़ा क्रूज़ पर हनीमून मनाने आया है जिनका
नाम फिलिप और मारिया है. फिलिप पेशे से कारपेंटर है और मारिया एक नर्स है. दोनों
एक दूसरे का हाथ थामे समंदर को देख रहे है. मारिया फिलिप से पूछती है कि सच्चा
प्यार क्या समंदर के जैसा अनंत होता है? फिलिप कहता है नही सच्चा प्यार डेजर्ट के
जैसा शुष्क और अनिश्चित होता है. मारिया इस बात पर कोई व्याख्या नही चाहती.
फिलिप मारिया की आँखों में झांकते हुए कहता है तुम्हारी आँखों में इस समंदर का
एक टापू दिखता है मगर वहां मैं खुद को नही देख पा रहा हूँ वहां तुम अकेली हो.
मारिया कहती है तुम सच देख रहे हो हर स्त्री के मन में एक टापू ऐसा होता है जहां
उसका सबसे प्यारा व्यक्ति नही होता है. फिलिप कहता है क्यों बचा कर रखा जाता है इस
टापू को? मेरे ख्याल से आँखों की बारिश के रास्ते इसे बहा देना चाहिए. मारिया एक
फीकी मुस्कान के साथ कहती है इस टापू की न
कोई नियत जगह और न कोई नियत आकार और ये इतनी तेजी से अपनी जगह बदलता है कि हम
स्त्रियाँ इसका अनुमान नही लगा पाती है. इस टापू का होना एक उम्मीद का होना भी है
कि हम अपने हिस्से का निर्वासन एकांत की गरिमा के साथ काट लेंगी और हमें भीड़ का
हिस्सा बन गुम नही होना पडेगा.
फिलिप मारिया को गले लगाता है और अनायास ही टापू का एक पतनाला मारिया की आँखों
के रास्ते फिलिप के कंधे पर आकर गिरता है समंदर इस तरह की पहली बारिश देखता है
जिसकी एक भी बूँद उसे हासिल नही होगी.
© डॉ. अजित
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